

नैनीताल/लालकुआं/भीमताल/रामनगर। जनपद में बरसात के चलते जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है पहाड़ में जहां सड़कें बंद हो रही हैं तो वहीं तराई भाबर में नदी किनारे रहने वाले लोगों का जमीन और मकान सब दांव पर लगा हुआ है!
जिला प्रशासन लगातार प्रयासरत है कि कहीं किसी प्रकार की दुर्घटना न हो लेकिन आपदा कहकर नहीं आती है! भीमताल मार्ग में सलडी के पास लगातार मार्ग अवरुद्ध हो जाता है जिससे इस रोड के सभी लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है।

सलड़ी में कब रोड बंद हो जाए कुछ पता नहीं! नैनीताल में बलिया नाला सहित कई स्थानों पर भूस्खलन परम्परागत रूप ले चुका है! नैनीताल में सड़क धंसने का अब तक स्थाई समाधान नहीं हुआ है सिर्फ काम चलाऊ कार्य के चलते कभी फिर माल रोड संकट में आ सकती है क्योंकि खतरा बरकरार नजर आता है!
हल्द्वानी में रेलवे लाइन और पुल खतरे में हैं यही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम तक आने वाले समय में नदी के रडार पर नजर आता है।
रामनगर में भी कई जगह आपदा का दंश लोगों की झेलना पड़ता है! नदियों के किनारे मजबूत दीवार/तटबंध न होने के कारण चोरगलिया को और बिंदुखत्ता को हर साल त्रासदी का सामना करना पड़ता है!
बताते चलें पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में बिंदुख़त्ता सहित तटीय भाग को बचाने के लिए एक बार गंगा बाढ़ नियंत्रण योजना के तहत काठगोदाम से शांतिपुरी तक दीवार लगाने के लिए डीपीआर बनी थी!
लेकिन उनके हटने के बाद गंगा बाढ़ नियंत्रण योजना का बजट अवमुक्त करवाने के लिए किसी ने या तो पहल नहीं की या फिर कुछ और कारण रहा! गंगा बाढ़ नियंत्रण योजना के तहत डाम की नहर जैसा इस गौला नदी को बनाया जाना था! लेकिन हर साल लोग इससे अपना सब कुछ गंवा रहे हैं पर समस्या जस की तस है।
जिला प्रशासन को लोगों का विरोध झेलना पड़ता है जबकि काम के लिए जिम्मेदार लोग गायब हो जाते हैं! आपदा प्रबंधन टीम में नेताओं को भी शामिल किया जाए तब नेताओं को धरातल का ज्ञान होगा कि उनकी करतूत का फल प्रशासन को किस प्रकार झेलना पड़ता है!
लालकुआं नदी किनारे दीवार के लिए बड़े बजट की दरकार है टुकड़ों में तटबंध बनाना पैसे का दुरुपयोग नजर आता है! चैनल खोदने से भी नदी के पानी का रुख नहीं मोड़ा जा सकता! रेत की दीवार कभी नदी का वेग नहीं सह सकती! रेत खिसक जाएगी! यह प्रमाण दिख रहा है! चैनल खोदने से भी कोई लाभ नहीं दिखता। इसका समाधान बड़े बोल्डर के तटबंध ही हैं जो दीवार की तर्ज पर बनें जिसके पीछे से नदी न घुस पाए।
अभी बने तटबंध इसलिए कामयाब नहीं हो रहे हैं कि दीवार जैसी न होने से पानी तटबंध के पीछे से घुसकर तटबंध को ही ध्वस्त कर रहा है। इसलिए दिक्कत कम होती नजर नहीं आती है।
जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वह नदी नालों से दूर रहें। आपदा प्रबंधन टीम कंट्रोल रूम से पूरे जनपद में पैनी नजर रखे हुए है।












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