

56 लालकुआं विधानसभा क्षेत्र। उत्तराखंड का शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जिसका आपदा प्रभावित परिवार बिंदुखत्ता में न रहता हो! आजादी से पूर्व 1932 से बसासत का सिलसिला चलता रहा जो 1979 तक जारी रहा! इसके बाद हर चुनाव में बिंदुखत्ता राजस्व गांव घोषित किए जाने के लिए ठगा गया है!
इसके बाद उत्तरप्रदेश सरकार ने मुलायम यादव सरकार ने इस पूरे भू भाग का सर्वे करवाया था और तत्कालीन जिलाधिकारी आराधना जौहरी के कार्यकाल में उप जिला अधिकारी शकुंतला गौतम सहित 42 राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी तीन माह तक पूरे बिंदुखत्ता की सर्वे कराकर उत्तर प्रदेश सरकार को सर्वे रिपोर्ट प्रेषित कर भी चुके हैं।

इसके बाद राज्य आंदोलन भड़का और लोग आंदोलन में जुट गए सोचा राज्य बन गया तो फिर अपनी सरकार बनेगी वह बनाएगी! अब राज्य बनने के बाद सिल्वर जुबली कार्यक्रम आयोजित हो गया लेकिन बिंदुखत्ता की समस्या जस की तस है!
बिंदुखत्ता के लोगों की मांग है कि अन्य राजस्व गांव की भांति बिंदुखत्ता में। ही पंचायती राज लागू हो जिससे गांव के विकास के लिए ग्राम प्रधान बीडीसी सदस्य, जिला पंचायत सदस्य चुनने का अधिकार जनता की मौलिक अधिकारों वाली मांग पूरी हो सके!

बिंदुख़त्ता के लोगों ने आज कड़कड़ाती ठंड के बावजूद विशाल धरना प्रदर्शन कर यह चेताया है कि समय रहते उनकी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो वह सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन को मजबूर होगी! जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी!


पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज ग्यारह बजे से धरना प्रदर्शन पर जुटने शुरु हुए और एक बजे तक भारी संख्या में लोग धरने में पहुंचे थे जो जनता की ताकत का एहसास कराने के लिए काफी था!
सभी वक्ताओं ने कहा वह मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि जन भावना का सम्मान करते हुए अविलंब बिंदुखत्ता को राजस्व गांव घोषित किया जाए! इस अवसर पर उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सरकार को ज्ञापन सौंपा गया!
इस दौरान समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी ने कहा कि सरकार से हम मांग करते हैं कि मौलिक अधिकारों की बहाली के लिए तत्काल बिंदुखत्ता राजस्व गांव की अधिसूचना जारी की जाए!
इस दौरान पूर्व ब्लॉक श्रीमती प्रमुख संध्या डालाकोटी समाजसेवी श्याम सिंह रावत, धर्म सिंह, उमेश भट्ट, कविराज धामी, प्रमोद कलौनी, चेयरमैन सुरेंद्र सिंह लोटनी, हरेंद्र बोरा, हेमवती नंदन दुर्गापाल, भाजपा नेता कुंदन चुफाल, भरत नेगी, प्रकाश उत्तराखंडी, कुंदन मेहता, किशन बघरी, नंदन जग्गी, दलवीर सिंह, चंचल सिंह कोरंगा, गोविन्द बल्लभ भट्ट, करम सिंह कोरंगा, रमेश गोस्वामी, बसंत पाण्डेय, भगवत दानू, भुवन चंद्र जोशी, शंकर जोशी, कुंदन राम आर्या, मोहनी कोरंगा, सुनीता बोरा, मुन्नी देवी, चंपा देवी, राधा कोरंगा, भावना टम्टा, उर्मिला दानू, सीमा पाण्डे, विमला पाण्डे, देवी दत्त, केदार सिंह कोरंगा, हुकम सिंह कोरंगा, प्रकाश कोश्यारी, सुरेश दानू, प्रेम जोशी, प्रेम सिंह, धन सिंह गड़िया सहित सैकड़ों की भीड़ ने कड़कड़ाती ठंड में धरना प्रदर्शन किया है और चेतावनी भी दी है कि समय रहते मांग पूरी नहीं हुई तो जनता अपने अधिकारों के लिए सड़क से लेकर संसद तक मार्च करना जानती है !
क्योंकि बिंदुखत्ता एक विधायक बनाकर भेजने की क्षमता रखता है! सभी दलों संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा वह बिंदुखत्ता के लिए झंडे डंडे तक त्यागने को तैयार हैं क्योंकि सबसे पहले बिंदुखत्ता वासी हैं।
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