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जैविक उत्पाद को जैविक बाजार की दरकार! गांव रहा दूर जंगलों में तक उत्पाद! पढ़ें काफल के सीजन में पहाड़ के किसान का दर्द…

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दूरगामी नयन डेस्क

नैनीताल। उत्तराखंड में पैदा उत्पाद को बाजार उपलब्ध हो और इसे पारदर्शिता के साथ रोजगार से जोड़ा जाए तो पलायन पर काफी हद तक रोक लगेगी! उत्तराखंड के उत्पाद को स्टेंडर्ड बाजार कैसे मिलेगा ये चिंता की जानी चाहिए!

क्या नहीं होता इस राज्य में लेकिन उसे बाजार मूल्य उचित नहीं मिलता जिससे उत्पादन के बावजूद नुकसान होता है! फल पट्टी हैं लेकिन उनको उचित बाजार नहीं मिलने से फल का कारोबार करने वाले जमीनों का ही कारोबार करने लग गए हैं!

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गांव में उत्पादित फसलों को उचित बाजार मिले और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए तो जैविक कृषि से उचित लाभ अर्जित किया जा सकता है! आज जैविक उत्पाद की मांग बढ़ी है तो इसका लाभ जैविक खेती करने वाले किसानों को कैसे मिले इसके लिए कृषि विभाग को सोचना होगा।

फल, फूल, सब्जी, मडुवा, झुंगरा, दाल अनाज सब जैविक उत्पाद है फिर नुकसान है तो बाजार नहीं मिल पा रहा। जंगलों में तक उत्पाद होता है जिसमें पहाड़ का काफल सीजन में सैकड़ों लोगों को स्वरोजगार देता है लेकिन आज काफल के जंगल निरंतर कम होते जा रहे हैं।

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ठंडे इलाके में इसके पेड़ होते हैं जो सीजन में गरीब को रोजगार का माध्यम बन जाते हैं! इसलिए कृषि विभाग को सोचना होगा कि कैसे जैविक उत्पाद को जैविक मूल्य मिले और किसान की आय में वृद्धि हो।

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