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शहर से गांव तक इस शादी के कार्ड की है चर्चा गढवाली मे दिया है न्युतु पढे खास रिपोर्ट

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देहरादून

कौन है कुसुम जोशी दूरगामी नयन से उनकी खास बातचीत मे क्या कहा उन्होने

नशा किसी भी समाज और परिवार के लिऐ ठीक नही होता है इसका गलत असर युवाओं पर पढता है जिसका ख़ामियाज़ा महिलाओं और समाज को उठाना पड़ता है । आज शादियों में शराब का प्रचलन बहुत बढा है जिससे लड़ाई झगड़े भी होते है इस बुराई को दूर करना हमारा फ़र्ज़ है _कुसुम जोशी

दिखावे के नाम पर हमारे समाज में शादी के दिन शराब परोसने की परम्परा है जिसमें समाज का गरीब तबका कभी कभी समाज के जागरूक लोग भी मजबूरी में या दिखावे में शराब की पार्टी रखते है ये एक समाजिक बुराई है ये बुराई कम हो यह बेड़ा “कुसुम जोशी ने उतराखण्ड में ढेड दशक से उठाया है
आजकल शादी का एक निमंत्रण पत्र बेहद चर्चा का विषय बना हुआ है मूल रूप से रूदप्रयाग निवासी वर्तमान ऋषिकेश निवासी श्रीमती कुसुम जोशी जी ने अपने बेटे शुभम की शादी के कार्ड अंतर्देशीय पत्र ओर पोस्ट कार्ड में निमत्रण पत्र डिजाइन करवाया है।

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मेहमानों को न्यौता देने के लिए जोशी परिवार ने अंतर्देशीय पत्र पर “ब्यो कु न्यूतु” नामके निमंत्रण पत्र छापा है। गढ़वाली बोली और देवनागरी लिपि में छापे गए इस न्यौते ही हर तरफ चर्चा है। कुसुम जोशी जी ने कहा है कि मांगलिक कार्यक्रम में शराब की जगह संस्कार परोसिऐ जो की “मैत्री संस्था” का उद्देश्य है।
हम गढ़वाली भाषा को बचाने का प्रयास कई वर्षों से कर रहे है कुसुम जोशी के पति राजेंद्र जोशी ने बताया की
“मेरु गौं, मेरु तीर्थ”
“अतिथि सत्कार म्यारा मुल्के की रीत“ संलोगन भी कार्ड में लिखा है ताकि लोग अपने उतराखण्ड के मूल अपने गाँव से जुडे रहे कार्ड में अपने गाँव की तस्वीर लगाई गयी है
हमारी संस्था उद्देश्य है लोग अपने मेहनत का पैसा शराब के आयोजन में ना लगाएँ। हमने इस विवाह में कोशिश की है शादी में शराब पर होने वाले खर्च को पौराणिक माँगल गीत उतराखण्ड के वाध्य यंत्र ढोल दमाऊ मास्कवीन रणसिंगा कुमाऊं का पारंपरिक छोलिया को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय लोक कलाकारों की प्रस्तुति रखी गयी है । जिसमें मांगल गीतों में उतराखण्ड की लोकगायिका रेखा धस्माना उनियाल की टीम ओर दुसरे दिन आशिर्वाद सामारोह में लोकगायक सोरब मैठाणी की टीम की प्रस्तुति होगी
इसके अलावा दूसरे पन्ने पर भी गढ़वाली में शादी के ब्यौरे दिए गए हैं। कुसुम जोशी का बेटा देहरादून उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में कार्यरत है इसलिए शादी ऋषिकेश से कर रहे हैं।कुछ कार्यक्रम मूल गाँव भ्युता भरदार रूदप्रयाग में सम्पन होंगे । ताकि गाँव से भी जुडाव रहे कुसुम जोशी
लंबे समय से नशाबन्दी अभियान से जुडी हुईं हैं हज़ारों नशामुक्त विवाह करा चुकी है इस शादी से नशा मुक्तशादी का संदेश दे रही है गढ़वाली बोली भाषा संस्कृति को बचाने के लिऐ माँगल गीतों को बढावा दिया है । कुसुम जोशी कई महिलाओं और कलाकारों को रोज़गार की मुहिम में जुटी हुई हैं। कुसुम जोशी जी का कहना जो पैसा शराब पर खर्च करना था वो हमने स्थानीय कालाकारों एवं माँगल गीतों और पहाडी वाध्य यंत्रों पर लगाया है इससे संस्कृति भी बचेगी ओर स्थानीय कलाकारों रोज़गार और युवाओं को उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को देखने का मौक़ा मिलेगा
कुसुम जोशी मैत्री नशा उन्मूलन संस्था ऋषिकेश

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