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बिंदुखत्ता में छिड़ा राजनीतिक घमासान! किसान सभा और वनाधिकार समिति के बीच आरोप प्रत्यारोप हुए तेज! पढ़ें विधायक ने क्या कहा…

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बिंदुखत्ता। राजस्व गांव बनाए जाने की मांग तेज होती जा रही है किसान महासभा का आरोप है कि पचास साल से राजनीतिक दल बिन्दुखत्ता की जनता को मात्र वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और हर चुनाव में जनता को राजस्व गांव का सपना दिखाया जाता है।

किसान सभा का कहना है कि राजस्व गांव बनाए जाने के लिए जो सर्वे 1994 में की गई थी उसे आधार बनाकर राजस्व गांव की सर्वे की जानी चाहिए। किसान सभा ने वनाधिकार कानून व्यवस्था लागू किए जाने पर कई सवाल खड़े किए हैं और इसे चुनावी मुद्दा बताया है।

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दूसरी ओर वनाधिकार कानून व्यवस्था लागू किए जाने के लिए जुटी हुई समिति का कहना है कि वामपंथी दल नहीं चाहते कि बिंदुखत्ता का विकास हो, समिति ने कहा है बाहरी लोग बिंदुखत्ता के आंतरिक मामले में बेवजह हस्तक्षेप कर रहे हैं जिससे स्थिति बिगड़ती रही है।

समिति ने कहा है पंडित नारायण दत्त तिवारी ने जब वन गांव के लिए फार्म भरवाए तब इन्होंने विरोध किया और जब नगर पालिका परिषद बनी तो इन्हीं लोगों ने उसे वापस करवाया। समिति ने जनता से अपील की है कि वह किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार न करें।

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विधायक डा मोहन बिष्ट कहते हैं जनता की मूल समस्या को हल करने के लिए मजबूत पहल शुरु हो गई है जिसके परिणाम जल्द सामने आयेंगे। उन्होंने कहा जनता ने जिस विश्वास से उन्हें विधानसभा भेजा है वह उस विश्वास को कायम रखते हुए राजस्व गांव बनाए जाने के लिए मजबूत पहल कर रहे हैं जिससे विरोधी दलों की जमीन खिसक रही है और वह जनता को बरगला रहे हैं।

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