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बागेश्वर उप चुनाव के परिणाम से क्या सुधरेंगे सत्ताधारी नेता! पढ़ें धरातल से संपादक की रिपोर्ट…

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नैनीताल। बागेश्वर उप चुनाव में जिस तरह विपक्ष ने सत्ताधारी दल को मामूली अंतर से जीतने का अवसर दिया वह आने वाले लोकसभा चुनाव में क्या नजीर बनेगा ? मामूली अंतर से जीत दर्ज कर पार्वती दास विधायक बनी हैं जो चर्चा का विषय बना हुआ है।

विपक्ष इस चुनाव के बाद अपने को मजबूत समझने लगा है! कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार ने जिस तरह टक्कर दी है वह सोचनीय विषय है। क्या विपक्ष आने वाले दिनों में और मजबूत नहीं होगा!

सरकार और भाजपा दोनों को चिंतन मनन करना चाहिए कि क्या कारण है लोग नाराज नजर आने लगे हैं! सरकार और संगठन में बढ़ती दूरी कहीं इसका कारण तो नहीं है! कई विधानसभा क्षेत्र में देखा जा रहा है कि सरकार और संगठन अलग थलग नजर आते हैं!

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निकाय चुनावों से पहले लोकसभा चुनाव होंगे या निकाय चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव करवाए जाएंगे ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है!

सरकार को चाहिए कि वह संगठन की राय को भी शामिल करे जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल न टूटे! कई जगह देखा जा रहा है कि संगठन के समान नेताओं ने अपना समानांतर संगठन खड़ा किया है!

जिन स्थानों पर संगठन को नेता विश्वास में रखे बिना अपने अनुसार काम कर रहे हैं वहां विपक्ष मजबूत नहीं होगा क्या गारंटी है!

बागेश्वर उप चुनाव भाजपा जीत तो गई लेकिन मामूली अंतर से जीतने के कारण चर्चा जनता में कई तरह की होने लगी है! कई नेता हैं जिनको छपास का रोग लग गया है!

धरातल पर पांच साल में एक काम नहीं हुआ और मीडिया में वाहवाही लूटी जा रही है! सोशल मीडिया पर एक्टिव नेता धरातल से दूरी बनाकर चल रहे हैं!

संगठन को दर किनार कर अपना समानांतर संगठन खड़ा किया जा रहा है जो आने वाले दिनों में दुःख का कारण बन सकता है!

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कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां विधायक अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं और कई सांसद ऐसे हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में एक इंडिया मार्क हैंड पंप तक शायद नहीं लगाया है!

आने वाले चुनाव में जनता सवाल करेगी तो क्या जवाब दिया जाएगा! विकास के नाम पर झूठ पकड़ा जाएगा और सरकार को बेवजह कटघरे में ये नेता खड़ा करेंगे!

सरकार लगातार कह रही है कि सांसद और विधायक जनता के बीच रहकर काम करें लेकिन किसी के कान जूं नहीं रेंगी है! बागेश्वर उप चुनाव से सबक लेकर चलना होगा वरना कई जगह हार का मुंह देखना होगा!

एक पीएम नरेंद्र मोदी के सहारे कितने दिन वोट मिलेंगे! खुद कुछ नहीं करोगे तो नेतृत्व की मजबूरी होगी कि वह नया प्रत्याशी उतारे! फिर कहेंगे टिकट काट दिया!

लोकसभा चुनावों से पहले जनता के बीच जाकर काम करना होगा! धरातल की सर्वे ही टिकट पक्का करेगी।

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