Durgami Nayan

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हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र *दूरगामी नयन* ने सफलता के *सात साल किए पूरे* पढ़ें संपादकीय क्या कहते हैं संपादक…

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संपादकीय
जीवन की कलम से…
हिंदी साप्ताहिक दूरगामी नयन ने सफलता के सात साल पूरे कर लिए हैं जिसके लिए सभी पाठक, विज्ञापनदाता, शुभ चिंतकों को दूरगामी नयन परिवार कोटि कोटि नमन करता है।
मित्रो नैनीताल जनपद के एक ग्रामीण क्षेत्र बिंदुखत्ता से निकलने वाले हिंदी साप्ताहिक दूरगामी नयन ने सात साल का शानदार सफर पूरा किया है।
इस दौरान जहां भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया वहीं सकारात्मक सोच को नया कलेवर दिया है।

हर समस्या को बेबाकी के साथ जहां उठाया वहीं जनभावनाओं पर सरकार व जनप्रतिनिधियों से अमल भी समाचार पत्र के माध्यम से करवाया है।
दूरगामी नयन टीम ने कई ऐसे क्षेत्रों का दौरा किया जहां आजादी के बाद कोई मीडिया कर्मी नहीं पहुंचा था!
गौलापार विजयपुर गांव में दूरगामी नयन टीम सबसे पहली टीम थी जो आजादी के बाद वहां पहुंची थी।

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लालकुआं विधानसभा क्षेत्र की हर समस्या को प्रमुखता से छापा गया जिससे अनेकों समस्या का समाधान होता रहा है
अवैध खनन और नशे के विरुद्ध अभियान चलाया गया है जिससे पूरे राज्य में यह अभियान अब राजकीय अभियान बन गया जो हिंदी साप्ताहिक दूरगामी नयन का सपना था जिसे प्रदेश सरकार ने साकार करने की ठान ली है।


बेरोजगारी और जंगली जानवर का आतंक कम करने के लिए लगातार आलेख लिखे जाते रहे हैं।
राज्य आंदोलनकारियों के सपने साकार करने के लिए दूरगामी नयन टीम लगातार जनचेतना जागृत कर रही है।
भारत माता की रक्षा , एकता,अखंडता संप्रभुता के लिए अनेकों सकारात्मक लेख छपते रहे हैं।

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हिंदी साप्ताहिक दूरगामी नयन अपने असंख्य पाठकों की भावना के अनुसार निरंतर प्रयास करेगा कि वह जनता के सपनों को साकार करने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाए।
हिन्दी साप्ताहिक दूरगामी नयन जनता को समर्पित समाचार पत्र है जो उत्तराखंड सरकार से सरकारी विज्ञापन के लिए मान्यता प्राप्त है।
समस्त पाठक और शुभ चिंतक बधाई के पात्र हैं कि हम सभी के अपार स्नेह और सहयोग से सात साल का सफर पूरा करने में कामयाब हुए।


कोरोना जैसा संकट, नोट बंदी जैसा समय भी हमारे कदमों को डिगा नहीं सका इसके लिए सभी पाठक, विज्ञापनदाता, शुभ चिंतक हमारी ताकत बनकर खड़े रहे जो आज भी हमें साहस प्रदान करते हैं। हम विश्वास दिलाते हैं दूरगामी नयन अपने नाम के अनुरूप निरंतर आगे बढ़ता रहेगा। धन्यवाद!!
संपादक: जीवन चंद्र जोशी

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