जीवन की कलम से…
(धामी सरकार और आपदा प्रबंधन)
उत्तराखण्ड में मानसून जब सक्रिय होगा तब होगा लेकिन सरकार ने इसकी चिंता करते हुए आपदा प्रबंध तंत्र को सचेत कर दिया है जिससे समय रहते आपदा प्रबंधन के सभी इंतजाम किए जा सकें। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से आपदा प्रबंधन टीम को मजबूत व कारगर बनाने को जहां निर्देशित किया है वहीं बचाव के लिए अभी से प्रबंध करने को भी कहा है। बताते चलें उत्तराखण्ड में हर साल दैवीय आपदा के चलते विकास का पैसा आपदा में समाता जा रहा है। हर साल जितनी सडक बनती है उससे दोगुनी हर साल आपदा की भेंट शायद चढ़ जाती होगी। आपदा और हिमालयी राज्यों का मानो चोली दामन जैसा साथ हो गया है! हर साल आपदा के चलते मैदान व पहाड़ के लोग त्राहिमाम करते हैं। पहाड़ में जहां भूस्खलन कहर बनकर टूटता है तो मैदान में नदिया भूकटाव व जलभराव का पर्याय बनती आ रही हैं। मैदान की नदियों को खनन के लिए इतना गहरा खोद दिया गया है कि वह जबरदस्त भूकटाव करने लगी हैं जिससे तटीय भाग के लोग हर साल अपना घर जमीन नदी में खोने के लिए मजबूर हैं। नैनीताल जनपद के लालकुआं व बिन्दुखत्ता के बीच 2.5 कि.मी गौलानदी में बीचों-बीच खनन प्रतिबंधित है कारण बताया जाता है कि ये क्षेत्र हाथी कारीडोर के नाम पर प्रतिबंधित है! अब कौन कहेगा कि हाथी तो कभी कारीडोर के लिए छोडी गई नदी में देखा तक नहीं गया वह दिखता है सीमैप दवाईफार्म नगला के समीप! हाथी कारीडोर के नाम पर जबरन छोड़ी गई नदी के भू भाग ने बिन्दुखत्ता नामक गांव में विगत वर्ष दर्जनों हेक्टेयर कृषि भूमि व पक्के मकानों को अपने आगोश में ले लिया था जिनको पुष्कर धामी सरकार ने उचित मुआवजा दिया था। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी धरातल पर पहुंचे और उन्होंने भी आपदा पीडितों के समर्थन में धरना दिया था लेकिन आज दिन तक यहां आपदा प्रबंधन का कोई काम प्रारम्भ नहीं हुआ है जिससे आने वाले मानसून सत्र में यहां भयंकर त्रासदी से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका प्रमुख कारण है कि गौलानदी का रूख गांव की तरफ हो गया है जिसमें मजबूत दीवार नुमा तटबंध नहीं बने तो आने वाले वर्षा के मौसम में जनहानि से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। नैनीताल जिला प्रशासन को भी चाहिए कि वह हाथी कारीडोर ने नाम पर छोड़ी गई नदी के तटीय भाग का समय रहते निरीक्षण कर बचाव का प्रबंध करे बाद में फिर घडियाली आंसु बहाने के सिवा कुछ न बचेगा। तटबंध नहीं बने तो इन्द्रानगर गब्दा व संजयनगर, तिवारीनगर जहां भी नाले हैं नदी वहां तक त्राहीमाम मचा सकती है और हजारों परिवार इससे प्रभावित हो सकते हैं इसलिए समय रहते इन्द्रानगर गब्दा में तटीय भाग का सर्वे हो और वहां कार्य शुरू किया जाए।
सम्पादक
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