नैनीताल
जीवन की कलम से…
जिसको पढ़कर दुनिया एक दूसरे तक पहुंची और ज्ञानवान बनकर नित नए अविष्कार किए उस पुस्तक का आज पूरी दुनिया जन्मदिन मनाती है आज पुस्तक दिवस पर हिंदी सप्ताहिक दूरगामी नयन परिवार अपने सुधी पाठकों को सुभकामनाएं देता है, मित्रों पुस्तक ही है जिसे पढ़कर हम सब जीवन की विधा को जहां समझ पा रहे हैं वहीं संस्कार भी इन्हीं पुस्तकों ने समाज को दिए लेकिन आज बदले हुए हाल में पुस्तक महल वीरान नजर आने लगे हैं, लाइब्रेरी में धूल नजरें गढ़ा रही है! पुस्तक दिवस के अवसर पर मेरा जहां तक अपना मत है कि पुस्तकों की प्रसंगिगता आज भी बरकरार है, अच्छे लेखकों की किताबें आज भी वजूद को जिंदा रखे हैं वरना पुस्तकों का वजूद खतरे में है! लेखक वर्ग दिन रात एक करके अच्छा साहित्य समाज के लिए लिखता है लेकिन आज लेखकों का वजूद ही खतरे में है!















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