उत्तराखंड के तराई के क्षेत्रों में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या औऱ बांग्लादेशी घुसपैठिए अब पहाड़ों के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं। सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो तराई के रास्ते ये रोहिंग्या धीरे धीरे पहाड़ी जिलों में पैंठ जमा चुके हैं। खासतौर से कुमाऊं मंडल में रोहिंग्याओं की घुसपैठ बड़ी चिंता का कारण बन गया है। इससे सुरक्षा के साथ (Increasing illegal Rohingyas in hill area are major threat for security) क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए भी बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। इस आशंका के चलते कुमाऊं क्षेत्र में पुलिस ने विशेष सत्यापन अभियान शुरू कर दिया है।
विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों व इंटेलिजेंस के आंकलन के अनुसार अनुसार रोहिंग्या का पहाड़ों तक पहुंचने का रूट बड़े खतरे की तरफ संकेत कर रहा है। एजेंसियों की माने तो दलालों के जरिए इन घुसपैठियों को पहुंचाने के लिए बांग्लादेश से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड तक विशेष कोरिडोर तैयार किया गया। इसमें उत्तराखंड से सटे उत्तर प्रदेश के कई जिले भी अतिसंवेदनशील श्रेणी में हैं। यहां से उन्हें आज भी बड़ी मदद मिल रही है।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार बांग्लादेश से होते हुए भारत में दाखिल होने के बाद रोहिंग्या का पहला पड़ाव वाराणसी होता है। यहां से कुछ गोरखपुर की तरफ निकलते हैं जो सोनौली होते हुए नेपाल तक पहुंचते हैं। बाकी लखनऊ की तरफ बढ़ते हैं। यहां से भी एक हिस्सा कानपुर का रुख करता है जो बाद में गाजियाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में बंट जाता है। कुछ लखनऊ से शाहजहांपुर, फरदीपुर के रास्ते बरेली पहुंचते हैं।
रोहिंग्याओं की उत्तराखंड में एंट्री का सबसे बड़ा केंद्र बरेली माना जाता है। रोहिंग्या यहां से धीरे-धीरे उत्तराखंड के हल्द्वानी व ऊधम सिंह नगर के रास्ते नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत व पिथौरागढ़ तक पहुंच जाते हैं बरेली के अलावा रामपुर, मुरादाबाद, स्वार, दडियाल, सहारनपुर, बिजनौर से भी अवैध रूप से बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की उत्तराखंड में एंट्री हो रही है। कुमाऊं के ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, पिथौरागढ़, चम्पावत जिलों में अवैध बस्तियों और घुसपैठियों की तादात में बढ़ोतरी हुई है। 2012 के बाद इनकी लगातार बढ़ती संख्या सुरक्षा के साथ ही सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से भी गंभीर संकट उत्पन्न कर रही है।
सत्यापन के लिए विशेष अभियान
गंभीर होते हालात के बाद कुमाऊं में मंगलवार से रोहिंग्या के खिलाफ विशेष सत्यापन अभियान शुरू किया गया है। डीआइजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के आधार पर पूरे कुमाऊं में हमने सत्यापन अभियान शुरू कर दिया है। इसकी जिम्मेदारी सभी जिले के सीओ को सौंपी गई है। इसपर प्रदेश गृह मंत्रालय की भी नजर है। दस्तावेजों की जांच के साथ ही स्थानीय संपर्क, निवास का समय और कार्यप्रणाली पर भी नजर रहेगी। सत्यापन अभियान में नैनीताल जिले के कृष्णापुर, बूचडख़ाना, सूखाताल, हरिनगर, बारापत्थर, सीआरएसटी स्कूल के पीछे वाले इलाकों में विशेष नजर रखी जा रही है। नैनीताल के साथ भीमताल, भवाली और रामगढ़, मुक्तेश्वर में भी पुलिस बारीकी से सत्यापन करेगी।
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