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* बिंदुखत्ता राजस्व गांव कब बनेगा* फाइल तो सरक नहीं रही! विधायक की घोषणा का क्या हुआ! जनता पूछ रही एक दूसरे से सवाल! पढ़ें प्रधान सम्पादक *जीवन जोशी* की अपनी बात…

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बिंदुखत्ता। आजादी से भी पूर्व खत्तों का अपना एक इतिहास रहा है! गर्मियों में उत्तराखंड के लोग पहाड़ों में आ जाते थे और जाड़ों में भाबर में अपने जानवर लेकर चले जाते थे! पहाड़ और भाबर का रहन सहन उत्तराखंड की जनता का होता रहा है जो आज भी प्रचलित है।

बिंदुखत्ता नामक गांव आजादी के बाद से ही राजस्व गांव जी मांग कर रहा है लेकिन आज दिन तक हर जनप्रतिनिधि और सरकार ने अस्सी हजार की आबादी को चुनावी हसीन सपने के सिवा कुछ नहीं दिया।

इस क्षेत्र में भी भी सांसद या विधायक चुनाव जीतता है वह यही वादा करता है कि वह जीत गया तो राजस्व गांव बनेगा!

मौजूदा विधायक डा मोहन बिष्ट ने अपने जन्म दिन पर हजारों की भीड़ में कहा था कि जल्द राजस्व गांव बनेगा लेकिन उसके बाद अब तक खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। बिंदुखत्ता के मामले में रामनगर और हरिद्वार जैसी तत्परता नहीं दिख रही बिन्दुखत्ता राजस्व ग्राम के मामले में। वन अधिकार समिति बिन्दुखत्ता द्वारा किए जा रहे बिन्दुखत्ता राजस्व ग्राम के मामले में प्रशासन स्तर पर रामनगर और हरिद्वार जैसी तत्परता नहीं दिख रही है।

बिन्दुखत्ता में कई बार राजस्व ग्राम के प्रयास किए गए। इस बार ग्राम वासियों द्वारा अर्जुननाथ की अध्यक्षता में नियमानुसार 15 सदस्यीय वन अधिकार समिति का गठन किया गया, जिसमें 05 महिलाएं भी चयनित की गई। चूंकि नियमानुसार इस समिति में 15 सदस्य ही निर्वाचित हो सकते थे परन्तु बिन्दुखत्ता की विशालता को देखते हुए केवल 15 लोग ये काम नहीं कर सकते थे इसलिए भूमिहीन संगठन के धरम सिंह बिष्ट, श्याम सिंह रावत, चन्द्र सिंह दानू, प्रमोद कालोनी, बीना जोशी, भरत नेगी, राम सिंह पपोला, रमेश गिरी गोस्वामी, बलवंत बिष्ट, देवेंद्र बिष्ट, दीपक जोशी आदि वरिष्ठ लोगों को संरक्षक बनाकर इस समिति से जोड़ा गया ताकि जल्द से जल्द मंजिल तक पहुंचा जा सके।

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वर्तमान में लगभग 50 लोगों की वन अधिकार समिति काम कर रही है।इस समिति द्वारा दिनांक 08 जुलाई 2023 को स्थानीय विधायक की उपस्थिति में लगभग 500 पेजों की पत्रावली एसडीएम हल्द्वानी को सौंपी जिसमें सैकड़ों वर्षों से बसासत के प्रमाणों सहित बिन्दुखत्ता के 11500 परिवारों की हस्ताक्षर युक्त सूची भी संलग्न की गई थी।

वन अधिकार समिति सदस्यों के अनुसार उपखण्ड स्तरीय समिति द्वारा उक्त पत्रावली को जिला स्तर को भेजने में लगभग 8 माह का समय लगाया गया। फरवरी 2024 में उपखण्ड स्तरीय समिति से पास होने के दौरान ही मुख्यमंत्री द्वारा भी घोषणा में भी शामिल कर लिया गया हालांकि विपक्ष का कहना है कि यह काम उनके द्वारा बिन्दुखत्ता और देहरादून में किए गए आंदोलनों के दबाव के कारण ही सम्भव हो पाया।

एसडीएम द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में बिंदुखत्ता राजस्व ग्राम की पत्रावली को हरी झंडी तो दिखा दी गईं परन्तु अभी भी अन्तिम निर्णय जिला स्तर की समिती का ही मान्य होने के कारण मंजिल तक नहीं पहुंच पाए हैं।जानकर सूत्रों के अनुसार इस बीच दिनांक 13 मार्च 2024 को तीन जिला पंचायत सदस्यों की उपस्थित में डीएम, एडीएम, वन विभाग और समाज कल्याण विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक में बिंदुखत्ता राजस्व ग्राम की पत्रावली को स्वीकृति तो प्रदान कर दी गई है परन्तु डीएम द्वारा अभी तक पत्रावली शासन को प्रेषित नहीं की गई है जिस कारण वन अधिकार समिति पत्रवाली को आगे भिजवाने हेतु डीएम ऑफिस के चक्कर काट रही है।

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जिला स्तर से पास होने के बाद भी कुछ लोग राजस्व ग्राम की अधिसूचना जारी होने में 1 से 2 वर्ष का समय लगने की बात कर रहे हैं परन्तु रामनगर के तीन गांवो लेटी, चोपड़ा और रामपुर की बात करें तो जिला स्तर से पास होने के बाद एक वर्ष का समय लगा था जबकि हरिद्वार के तीन गांवो हरीपुर, पुरुषोत्तम नगर, कमलानगर की बात करें तो जिला स्तर से पास होने के बाद केवल 3 माह में ही शासन द्वारा राजस्व ग्राम की अधिसूचना जारी हो गई थी।

अब बिंदुखत्ता के मामले में देखना है कि कब तक बिन्दुखत्ता की फाइल शासन को प्रेषित की जाती है और कब तक राजस्व ग्राम की अधिसूचना जारी होती है? यदि छः माह के भीतर बिन्दुखत्ता वासियों के लिए अच्छी खबर आती है तो आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में बिंदुखत्ता के लोग भी शामिल हो सकते हैं।

विधायक डा मोहन बिष्ट ने चुनाव जीतने के लिए लोगों से जो वायदे किए वह धरातल पर कब नजर आयेंगे ये सवाल खुद भाजपा कार्यकर्ता एक दूसरे से करते सुने जाते हैं! नदी फिर आने को है तटबंधों का कही जिक्र तक नहीं हो रहा है। लोगों की मांग है कि विधायक बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने के लिए ईमानदारी से संघर्ष करें तो कोई ताकत रुकावट नहीं बन सकती! भूमि आन्दोलन से जुड़े लोग कहते हैं जब रामनगर सहित कई जगह राजस्व गांव बने हैं तब बिंदुखत्ता कैसे नहीं बन सकता।

इधर समिति और विधायक के बीच भी वैचारिक मतभेद उभरने के समाचा मिल रहे हैं! समिति के सदस्य अब आरपार की लड़ाई के मूड में नजर आते हैं! विधायक कहते हैं वह जल्द राजस्व गांव बनाने जा रहे हैं! जनता असमंजस में फंसती और अपने को ठगा सा महसूस कर रही है।

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