नैनीताल । आज मौसम विभाग देहरादून के द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार 04 जुलाई से 06 जुलाई के मध्य जनपद नैनीताल में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा (रेड एलर्ट) होने की सम्भावना व्यक्त की गई है।
साथ ही वर्तमान में जनपद के समस्त पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों में मध्यम से भारी वर्षा होने व नदियों, नालों, गधेरों मेें तेज जलप्रवाह की सम्भावना को देखते हुये आपदा प्रबंधन एवं पुर्नवास उत्तराखण्ड शासन के आदेशों के क्रम मंे अपर जिला मजिस्टेªट/ आपदा प्रबंधन प्राधिकरण फिंचाराम चौहान ने सम्भावित आपदाओं के प्रबंधन एवं न्यूनीकरण के दृष्टिगत 04 जुलाई को जनपद के समस्त विद्यालयों, निजी एवं सरकारी विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 तक के छात्र-छात्राओं एवं आंगनबाडी केेन्द्रों के लिए अवकाश घोषित किया है।
उन्होंने कहा कि मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुये 04 जुलाई को जनपद के समस्त विद्यालयों, निजी एवं सरकारी विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 तक के छात्र-छात्राओं एंव आंगनबाडी केेन्द्रों के लिए अवकाश घोषित किया है।
अपर जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि विचलन की दशा में सम्बन्धित के विरूद्व कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
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दूसरी ओर इधर जिन लोगों के घरों में जल भराव हुआ है उनका आरोप है कि सम्बन्धित विभागों ने जिलाधिकारी के आदेशों के बाद भी आपदा प्रबंधन को लेकर समय पर काम नहीं किया जिससे आपदा प्रबंधन की पोल खुल रही है।
लोगों ने कहा है नदी नालों के किनारे समय रहते बचाव कार्य नहीं हुए हैं जिससे आने वाले समय में खतरा कम नहीं हुआ है। लोगों ने कहा है जिलाधिकारी के आदेशों पर काम हुआ होता तो समस्या को कम किया जा सकता था।
इधर बरसात से शहरी क्षेत्रों का कूड़ा पानी की निकासी में बाधक बनता दिख रहा है जिससे जल भराव की समस्या और बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। विगत दिनों डीएम वंदना ने लालकुआं पहुंचकर समस्या देखी और आर ई एस को आदेश दिए थे कि तत्काल पानी भराव की समस्या का हल करें, यही नहीं जिला प्रशासन ने बजट भी जारी कर दिया लेकिन विभाग जल भराव की समस्या का हल नहीं निकाल सका कि बरसात ने अपना रूप धारण कर अपने मन की कर डाली।
लोगों को शिफ्ट करने की नौबत आ गई है! समय पर समस्या का हल न होना आपदा प्रबंधन की पोल खोलना है! अधिकारी वर्ग और नेतागण इसकी गंभीरता को समझते हुए कार्य करें तो कुछ हद तक समस्या को कम किया जा सकता है! जब भूख लगे तब खाना बनाने बैठे वाली कहावत को चरितार्थ न करते हुए धरातल पर जाकर काम करवाने की जिम्मेदारी ही एक मात्र समस्या का हल नजर आता है।
शासन स्तर पर हर जिले में आपदा प्रबंधन टीम गठित की गई है इसलिए सामूहिक रूप से समस्या को हल करने की जरूरत महसूस होती है।
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