भीमताल /रूद्रपुर। आज पहाड़ का युवा रोजी-रोटी के आगे मजबूर होकर तराई के सिडकुलों में रोजगार के लिए धक्के खा रहा है, राज्य का स्थाई निवासी होने के बाद भी उसका हक बाहरी राज्यों के लोगों को दिया जा रहा है, मजबूर होकर पहाड़ के पढ़े-लिखे युवा नौकरी की जगह रुद्रपुर, पंतनगर, सितारगंज, बाजपुर के औद्योगिक क्षेत्रों में मजदूरी कर गुजारा बसर कर रहे हैं।
भीमताल विधानसभा बेरोजगार संघ अध्यक्ष पूरन चंद्र बृजवासी ने पहाड़ के युवाओं के साथ हो रहे अत्याचार पर आवाज उठाई है, उन्होंने कहाँ राज्य बने इतने सालों के बाद भी पहाड़ का पानी और जवानी दोनों पहाड़ के काम नहीं आई, आज भी भीमताल, रामगढ़, धारी, ओखलकाण्डा, बेताल घाट पहाड़ी क्षेत्र के युवाओं को उनका हक राज्य के ही सिडकुलों में नहीं मिल रहा है।
पढ़े-लिखे युवाओं से बैल की भाँति 12, 16 घंटे काम लिया जा रहा है जो युवा कंपिनयों के अत्याचारों के खिलाफ जाता है उसे कंपनी से निकाला जा रहा है, पहाड़ का युवा घर से दूर इन तराई के सिडकुलों में रोजी-रोटी के लिए बड़ा लाचार और हताश हो रहा है, पहाड़ के गरीब-मध्यम वर्गीय युवाओं के सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा है ।
बेरोजगार संघ अध्यक्ष बृजवासी ने बताया कि पूर्व के सीएम स्व. नारायण दत्त तिवारी की सरकार के समय पहाड़ के युवाओं को सिडकुल में 70 फीसदी आरक्षण के आधार पर नौकरी देने का शासनादेश था, जिसका पालन सिडकुल क्षेत्र की कंपनियों द्वारा नहीं किया जा रहा है, और भी उल्टा 10-15 सालों से काम कर रहे युवाओं को कंपनियों से निकाला जा रहा है।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं मुख्य सचिव उत्तराखंड से सिडकुलों में 70 फीसदी आरक्षण शासनादेश जारी का पालन शक्ति से कराने कि माँग की, ताकि पहाड़ के युवाओं को बाहरी राज्यों में पलायन न करना पड़े और रोजगार अपने ही राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में आसानी से मिल सके l
इधर बेरोजगार संगठन के मंडल अध्यक्ष दीपक जोशी ने भी कहा है कि राज्य के सिडकुल उत्तराखंड के बेरोजगारों का जबरदस्त तरीके से उत्पीड़न कर रहे हैं जो राज्य के युवाओं के साथ अन्याय है।
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