दूरगामी नयन डेस्क
नई दिल्ली।
देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने 132 साल पुराने राजद्रोह कानून पर रोक लगाते हुए कहा है कि अग्रिम आदेश तक इस कानून के तहत ना रिपोर्ट दर्ज हो और नहीं कोई अन्य कार्यवाही। जबकि केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि वह इस कानून के पुनर्विचार के लिए तैयार है तब तक अदालत इस कानून पर रोक ना लगाए। अदालत ने धारा 124ए को अग्रिम आदेश तक निष्प्रभावी मानो कर दिया है। अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे सप्ताह नियत की गई है। जनहित याचिका दर्ज करने वालों का आरोप है कि इस कानून मनमाने ढंग से दुरुपयोग हुआ है इसलिए इस काले कानून को वापस लिया जाए। इधर केंद्र सरकार के वकील ने कहा है कि एसपी लेबल के पुलिस अधिकारी की जांच के बाद ही मामला दर्ज होगा इसलिए इस कानून पर रोक नहीं लगाई जाए। दूसरी तरफ याचिका दर्ज करने वालों की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कहा इस कानून को रद्द किया जाय। सिब्बल की दलील के बाद अदालत के न्यायाधीश सूर्यकांत ने सिब्बल से कहा कि सरकार का कहना है वरिष्ठ अधिकारी की देखरेख में मामला दर्ज होगा इसपर आपका क्या कहना है तो सिब्बल बोले अगर विधाई बदलाव होता है तो भी काला कानून तो खत्म होगा ही। सरकार ने कहा है किसी आरोपी ने याचिका दर्ज नहीं की है तो तीसरे पक्ष की दलील गलत है लेकिन अदालत ने सबकी सुनने के बाद साफ कर दिया है कि अग्रिम आदेश तक इस धारा का इस्तेमाल नहीं करें। बताते चलें इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है।
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