लालकुआं।
आजादी से पूर्व बसा नैनीताल जनपद का 56 विधानसभा क्षेत्र लालकुआं आज भी मालिकाना हक के लिए चिल्ला रहा है लेकिन अब तक किसी ने चिल्लाने के बाद भी इस क्षेत्र की जनता के दर्द को दूर नहीं किया। हर चुनाव में राजनीतिक दल मालिकाना हक देने, बाईपास, ट्रांसपोर्ट नगर बनाने, रेलवे क्रॉसिंग में पैदल पुल बनाने, बस अड्डा और भी ना जाने कितने सपने जनता को दिखाते रहे हैं लेकिन आज दिन तक किसी ने जनभावना को नहीं समझा। पूर्व चेयरमैन कैलाश पंत और रामबाबू मिश्रा ने बताया कि राज्य बनने के बाद जनता में एक नई उम्मीद की किरण जागी थी कि अब मालिकाना हक मिलेगा! राज्य बने 22 साल हो गए लेकिन हाल जस के तस हैं। जनता की सुनें तो जनता का कहना है कि जितने भी एमपी एमएलए बने सबने मालिकाना हक जल्द देने का वादा किया था, चुनाव बीतने के बाद सिर्फ जानलेवा प्रदूषण यहां मिलता रहा है। एनएच का निर्माण हो रहा है लालकुआं बाजार बचेगा या नहीं इसका भी कोई पता नहीं है। रेलवे क्रॉसिंग में दिन भर जाम लगा रहता है लेकिन किसी को लालकुआं की समस्या नजर नहीं आती है। एक समय था जब लालकुआं रेता बजरी की मंडी कहलाती थी तब रोजगार भी मिलता था, आज वो कारोबार नहीं के बराबर रह गया, लकड़ी का कारोबार लालकुआं की पहचान होती थी वो भी निगम बनने के बाद छिन गई। पहले ठेकेदारों की टाल होती है और लोग टाल से लकड़ी खरीदकर ले जाते थे। अब कारोबार भी नहीं के बराबर रह गया वहीं जिस जगह रहते हैं उस जमीन का मालिकाना हक भी नहीं मिल सका। चेयरमैन, एमपी, एमएलए चुन सकते हैं लेकिन जमीन व मकान के बाबजूद किसी की जमानत नहीं करवा सकते! करोड़ों की कोठियां बनी हैं को कागजों में मिट्टी के समान हैं। इसके अलावा गरीबों को देने को सौ कमरे बने थे जो खंडहर होने को हैं गरीबों को नहीं बांटे गए हैं। लालकुआं की पहचान आज केवल जानलेवा प्रदूषण है।
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