उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा (बीपीडीओ) के पेपर लीक में एसटीएफ ने गढ़वाल मेडिकल यूनिवर्सिटी के दो कर्मचारी गिरफ्तार किए है। दोनों आउटसोर्स से यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक कार्यालय में तैनात हैं। आरोपियों में उपनल कर्मचारी महासंघ का पूर्व अध्यक्ष शामिल है।आयोग ने बीते वर्ष दिसंबर में स्नातक स्तरीय परीक्षा कराई। इसमें गड़बड़ियां मिलने पर आयोग ने रायपुर थाने में केस दर्ज कराया। केस दर्ज होते ही जांच एसटीएफ को दे दी गई। एसटीएफ जांच में आयोग से जुड़ी एजेंसी के कर्मचारी के जरिए पर्चा लीक होने की बात सामने आई। इसके बाद सात आरोपी पूर्व में गिरफ्तार हो चुके हैं। इसमें कंपनी कर्मचारी जयजीत और उसके यहयोगी मनोज जोशी को एसटीएफ रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। पूछताछ में पता लगा कि जयजीत ने आयोग से पेपर निकालकर एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक कार्यालय में उपनल से तैनात कर्मचारी दीपक चौहान निवासी भंसवाड़ी, टिहरी, हाल निवासी बालावाला देहरादून को 36 लाख रुपये में बेचा। दीपक ने यूनिवर्सिटी में साथी कर्मचारी भावेश जगुड़ी निवासी जोगत पट्टी, उत्तरकाशी हाल निवासी विद्या विहार कारगी के साथ मिलकर पेपर को लीक किया। दोनों ने परीक्षा से पहले कई लोगों से पेपर देने की डील की। उन्होंने परीक्षा से पहले एक जगह इकट्ठा होकर पेपर में आउट किए गए प्रश्न बताए।
भावेश जगुड़ी हो गया चयन
इस परीक्षा में भावेश जगुड़ी खुद भी बैठा। 800 से ज्यादा पदों पर हुई भर्ती परीक्षा में उसकी 573वीं रैंक आई। परीक्षा में धांधली का खुलासा न होता तो वह भी नौकरी पर ज्वाइनिंग की तैयारी कर रहा होता।
आरोपियों के फोन लिए गए कब्जे में
एसटीएफ ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उनके मोबाइल फोन कब्जे में लिए हैं। इनका डाटा खंगालकर पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि वह परीक्षा के दौरान किन-किन छात्रों के संपर्क में थे।
जयजीत के दो अलग-अलग गुटों को पेपर लीक करने की पुष्टि
जयजीत दास यूनिवर्सिटी में तकनीकी सर्विस देने वाली कंपनी का कर्मचारी है। उसने पेपर लीक करने के बाद मनोज जोशी गैंग के अलावा इन दोनों आरोपियों को भी बेचा। इस तरह दो गुटों को पेपर लीक करने की अब तक पुष्टि हो चकी है। इसके लिए उसने करीब एक करोड़ रुपये लिए। एसटीएफ अभी जानकारी जुटा रहा है कि इस तरह किसी अन्य गुट को आरोपी जयजीत या उसके सहायोगी ने पेपर नहीं बेचा।
यूनिवर्सिटी में हुई मुलाकात
आयोग को तकनीकी मदद देने वाली आरएमएस टेक्नोलॉजी साल्यूशन गढ़वाल यूनिवर्सिटी के मेडिकल कार्यालय के साथ ही कई अन्य विभागों में तकनीकी मदद के लिए चयनित एजेंसी है। गढवाल विवि में जयजीत अक्सर जाता था। वहां उसकी मुलाकात दीपक चौहान से थी। जयजीत ने जिस वक्त पेपर सेट कर प्रिंट किया जा रहा था तो तीनों पालियों का पेपर निकाला। इसके बाद दीपक से इसे लेकर डील की। जिसके बाद उसने 36 लाख रुपये में पेपर बेच दिया।
ऑनलाइन सर्च किए उत्तर
आरोपियों के कब्जे में लिए मोबाइल फोनों से साफ हुआ कि उन्होंने परीक्षा में आए प्रश्नों के उत्तर गूगल पर भी सर्च किए थे। जांच में यह भी साफ हुआ कि आरोपियों ने जिन लोगों को पेपर दिलाने की डील की उन्हें परीक्षा की पहली रात एक स्थान पर इकट्ठा किया। वहां उन्हें प्रश्न आउट किए गए।
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