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पौराणिक जल श्रोतों को पुनर्जीवित करने के डीएम बागेश्वर ने दिए निर्देश! पढ़ें कितने नौलों का होगा उद्धार…

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बागेश्वर। जिलाधिकारी रीना जोशी ने जनपद के पौराणिक नौलों का पुर्नजीवतिकरण एवं सरंक्षण का उठाया बीड़ा। उन्होंने कहा नौले हमारी संस्कृति व परंपरा की विरासत है, इसलिए पुर्नजीवतिकरण एवं सरंक्षण अति आवश्यक है। गुरूवार को जिलाधिकारी ने जिला कार्यालय में नौला फाउंडेशन के साथ बैठक कर उन्हें जनपद के गरूड़ एवं बागेश्वर के 10 पौराणिक नौलों को चिन्हित कर उन्हें पुर्नजीवित करने के निर्देश दियें। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में 10 नोलों को सर्वे डाटाबेस तैयार कर शीघ्र प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा जो नौले गांववासी प्रयोग करते हैं उन्ही नौलों का जीर्णोद्धार किया जाए साथ ही गांववासियों को जागरूक करें, ताकि उनकी सहभागिता हो सकें। मुख्य विकास अधिकारी संजय सिंह व प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागरी ने कहा कि नौलों के कैचमेंट एरिया का सर्वे कर एरिया में चौडी पत्तेदार पौधरोपण के साथ ही ऊपरी क्षेत्रों में चाल-खाल बनाकर जल संरक्षण कार्य भी कियें जाए, ताकि नौले सदानीर बन सकें। उन्होंने नौलों के पुर्नजीवतिकरण एवं जीर्णोद्धार से पूर्व व बाद नौलों का जलमापन जल संस्थान से कराने का सुझाव दिया। नौला फाउंडेशन के संस्थापक बिशन सिंह बनेशी ने बताया कि नौले-धारे हमारे संस्कृति के प्रतीक है तथा जल संस्कृति के वाहक है। सामूहिक एवं शुभ कार्यो का शुभारंभ देवस्थानों व धारे-नौलों में ही होता था, जो आज विलुप्त के कगार पर है। जिन्हें पुर्नजीवतिकरण एवं सरंक्षित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा प्रथम चरण में जनपद के 10 नौलों को शीघ्र चिन्हित कर सर्वे डाटाबेस प्रस्तुत किया जायेगा। बैठक में अधि0अभि0 जल संस्थान सीएस देवडी, जिला पंचायतराज अधिकारी आरसी आर्या, क्षेत्रीय पुरातत्व एवं संस्कृति अधिकारी डॉ0 सीएस चौहान आदि मौजूद थे।

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