नैनीताल

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नदियों में अवैध और असंतुलित खनन पर केंद्र सरकार की माइनिंग एनफोर्समेंट एंड मॉनिटरिंग गाईडलाईन को कठोरता से लागू करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने रात में अवैध खनन के सघन निरीक्षण नाईट विजन ड्रोन कैमरे से निगरानी के आदेश दिया है। जिला स्तर पर खनन रोकने के लिए टास्क फोर्स बनाने को कहा है, फोर्स में परिवहन, प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों के साथ डीएम की ओर से नामित सम्मानित नागरिक भी शामिल होंगे। कोर्ट ने कहा है कि साल में चार बार सर्वे किया जाय कि कितना उपखनिज एकत्र हुआ है और उसी के अनुसार खनन की अनुमति होगी।बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ ने हलद्वानी निवासी दिनेश चंदोला की जनहित याचिका निस्तारण कर रहे थे,
कोर्ट ने कहा है कि सरकार अप्रैल में नदी के लेवल तय कर मानसून से पहले तय करेगी कि कितना नदी में उपखनिज है। कोर्ट ने साफ किया कि अगर इसका पालन नहीं किया जाएगा तो उन इलाके के अधिकारी अवमानना के दायरे में होंगे। इसके साथ एक अन्य याचिका में हाई कोर्ट ने कहा है कि नदी किनारे के निजी खनन पट्टों पर छह माह से अधिक की अनुमति नही दी जा सकती। बताते चलें अवैध खनन के चलते नदी किनारे बसे गांव हर साल भू कटाव के चलते बरबाद हो रहे हैं, एनजीटी के नियम भी यहां ताक पर रख दिए जाते हैं





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