देहरादून, कार्यालय संवाददाता। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने शनिवार को दो दिनी ‘वैली ऑफ वर्ड्स’ इंटरनेशनल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल के छठे संस्करण का शुभारंभ किया। उन्होंने हिन्दी की कहानियों पर आधारित पुस्तक ‘तद्भव’, 40 किताबों की समीक्षा वाली पुस्तक ‘द बुक रिव्यू’ और लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन के कवर का विमोचन किया। इस फेस्टिवल में पांच प्रदर्शनियां भी लगाई गई हैं।राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया और इंटरनेट ने सूचनाओं को सुलभ तो बनाया, लेकिन लोगों को किताबों से दूर भी किया है। विशेषकर युवा पीढ़ी में किताबें पढ़ने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। इस तरह के आयोजनों से युवाओं में किताबों के प्रति रुचि बढ़ाने में मदद मिलेगी। पिछले कुछ समय में दून में साहित्य, लेखन, कला एवं संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। यहां कई साहित्यकार और कलाविद हैं, जिसका लाभ हमें उठाने की जरूरत है। साहित्य हमारी धरोहर है। साहित्य के माध्यम से राष्ट्रीय विरासत, इतिहास और राष्ट्रहित का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जाना जरूरी है।राजपुर रोड स्थित मधुबन होटल में आयोजित फेस्टिवल में देश-विदेश के साहित्यकार भाग ले रहे हैं। इससे पहले बजाज स्कूल ऑफ लर्निंग के छात्रों ने माइम की प्रस्तुति से सभी के चेहरों पर मुस्कान छोड़ दी। मंत्रणा सत्र में पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने उत्तराखंड, हिमालय और गंगा के महत्व पर प्रकाश डाला।
कई किताबें लान्च
फेस्ट में पहले दिन कई किताबें भी लान्च हुई। निर्मल कांति भट्टाचार्जी के अनुवाद के लांच के साथ स्व. समरेश बोस की पुस्तक इन सर्च ऑफ पिचर ऑफ नेक्टर पर दीपंकर एरोन और एन रविशंकर ने चर्चा की। सतीश एकांत और रुद्रांग्शु मुखर्जी ने वैली ऑफ वर्ड्स पुरस्कार प्राप्त पुस्तक टैगोर एंड गांधी वॉकिंग एलोन, वाकिंग टूगेदर पर चर्चा की। चर्चा में पैनलिस्ट राजा शेखर वुंडरू, प्रदीप सिंह, कुलभूषण कैन, इरा पांडे, बद्री नारायण, संजीव चोपड़ा ने हिस्सा लिया।
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