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दीपक नागिला ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक कदम बढ़ाया आगे! हर आदमी का मेडिकल डाटा कार्ड बनेगा! पढ़ें कहां के निवासी हैं दीपक! जीवन की कलम से…

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मोतीनगर/हल्द्वानी। आज के युग में हमने तकनीकी प्रगति की एक विशाल लहर देखी जिसने हमारी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को सरल बना दिया। इन तकनीकी इनोवेशन में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक मूलभूत तत्व है जो खुद को कम्प्यूटेशनल उपकरणों और प्रणालियों में मानव बुद्धि के अनुकरण से संबंधित है। मेडिकल की बात की जाए तो कई रिसर्च के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेडिकल की दुनिया के लिए अच्छा साबित हो सकता है। ऐसी ही एक तकनीक का इस्तेमाल करके उत्तराखंड के निवासी दीपक चंद्र नागिला ने मेडिकल मैनेजमेंट सिस्टम को डिजिटल कर एक नये inovation में अपना हाथ आगे बढ़ाया है। दीपक के अनुसार मेडिकल की दुनिया में कई ऐसी प्रकार की समस्याएं है जिनको आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से सही किया जा सकता हैं जैसे इलाज के दौरान डॉक्टर और मरीज के बीच हुई बातचीत में मरीज अपने मेडिकल इतिहास को बता नहीं पाता या फिर बताना भूल जाता हैं जोकि डॉक्टर के लिए जानना जरूरी होता हैं ताकि डॉक्टर मरीज का सही से इलाज कर पाये। दीपक के inovation के अनुसार वह भारत में एक जन स्वास्थ कार्ड को लाना चाहते है जोकि एक बहुत बड़े डेटाबेस से जुड़ा होगा जिससे डॉक्टर द्वारा मरीज का भूतकाल मेडिकल डेटा मरीज के जन स्वास्थ्य कार्ड में डाला जाएगा ताकि उसका भविष्य में भी इस्तेमाल किया जाए। मरीज के मेडिकल हिस्ट्री की बात की जाए तो कई देश इस पर काम कर रहे हैं जिसमें वे मरीज के मेडिकल डेटा को एक डेटाबेस में सुरक्षित रखते हैं पर जन स्वास्थ्य कार्ड की बात की जाए तो वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से मेडिकल प्रिडिक्टिव एनालिसिस, डॉक्टर्स एडवाइजर और कई प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे है। स्वास्थ्य के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका, चाहे वह समाज के सदस्यों के लिए हो, रोगियों के लिए हो,डॉक्टर, क्लीनिक, अस्पताल, सरकारी या गैर-सरकारी, डायग्नोस्टिक labs के लिए हो, जन स्वास्थ्य कार्ड टेक्नोलॉजी की सहायता से इन सब को एक छत के नीचे लाएगा ताकि हम सभी इसका इस्तेमाल देश के किसी भी कोने में बैठ कर कर सके। यह इनोवेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के डिजिटल भारत योजना के सपने को पूरा करने में सहायता कर रहा है जिसमें मेडिकल की दुनिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का प्रयास किया गया है इस इनोवेशन की बात की जाए तो दीपक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा फिर इस कार्य को पूरा करने में उन्होंने अपनी यूनिवर्सिटी की सहायता ली और डॉक्टर सुधागर की सहायता से उन्होंने एक टीम बनायी जिसमे उन्होंने आयुष, शिवानी और जॉय की सहायता के इस कार्य को पुरा किया। यह सभी गार्डन सिटी यूनिवर्सिटी में MSc in artificial intelligence and machine learning के छात्र हैं।

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हिंदी साप्ताहिक दूरगामी नयन से एक भेंट में उन्होंने कहा कि स्वास्थ के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बांकी है इसलिए उनका निरंतर प्रयास जारी है।

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