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हरीश रावत को करना होगा चिंतन! क्या कारण हैं कि हार से नाता जुड़ गया! नैनीताल से भी लड़ सकते हैं रावत लोकसभा चुनाव! पढ़ें जीवन की कलम से खास रिपोर्ट.

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दूरगामी नयन डेस्क

लालकुआं। उत्तराखंड में कांग्रेस का बड़ा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के राजनीतिक कैरियर पर कुछ समय से विराम सा लगता प्रतीत होता है! लगातार हार का सामना करने के बावजूद हार न मानना ये भी अपने आप में एक बड़ी कला है! हरीश रावत लगातार क्यों हर चुनाव हार रहे हैं इसका चिंतन किया जाए तो कई चीजें सामने आती हैं! दूसरों पर अति विश्वास ही इसका पहला पन्ना है! धरातल से दूरी दूसरा कारण है! एक धर्म विशेष का नेता साबित होना! कई चीजें जब एक साथ अतिवाद से प्रभावित होकर काम करने लगती हैं तब हार तय है! समाज आज किसी के तले दबकर नहीं रहना चाहता! पैसा बिछाकर वोट खरीदे जा सकते हैं वाली परंपरा को भी बीते विधानसभा चुनाव में लालकुआं की जनता ने नकार दिया! टच स्क्रीन का जमाना आ गया है इसलिए हरीश रावत हों या फिर भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के ये दो बड़े चेहरे हैं जिनका अपने अपने संगठन में खासा दबदबा रहता है! भगत सिंह कोश्यारी बीजेपी के उत्तराखंड में किंग मेकर माने जाते हैं तो कांग्रेस में हरीश रावत ही सर्व मान्य अपने को यदा कदा साबित करते रहे हैं! चुनाव में लगातार हरीश रावत हारते जा रहे हैं लेकिन उनके उत्साह में आज भी कमी नजर नहीं आती है! कांग्रेस आपसी कलह से बाहर कब निकलेगी ये सवाल आज भी मुंह बाएं खड़ा है! लोकसभा चुनावों की तैयारी चल पढ़ी है बीजेपी ने खाका खींच लिया है वहीं कांग्रेस अब तक हरीश रावत को अर्जेस्ट नहीं कर सकी है! कांग्रेस हरीश रावत को सूबे की कमान सौंपती है या नहीं लेकिन इतना तय है हरीश रावत घर बैठने वाले नेता नहीं हैं! कद्दावर नेता अगर हरीश रावत को कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी! हरीश रावत के जज्बे को कांग्रेस हाईकमान भी नकारता नहीं है जिससे उनके उत्साह को चार चांद लगे रहते हैं! हरीश रावत नैनीताल लोकसभा सीट से दावेदार भी ही सकते हैं क्योंकि उन्हें आज भी हाई प्रोफाइल गेम डाउनलोड अपलोड करने में महारत हासिल बताई जाती है।

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