बिंदुखत्ता /लालकुआं। लंबे समय से लालकुआं विधानसभा क्षेत्र की जान अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रही है लेकिन आज दिन तक लालकुआं बिंदुखत्ता की मांग अनसुनी रह गई है। नैनीताल दुग्ध संघ को चला रहा बिंदुखत्ता उत्तराखंड में पशुपालन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता है। खेती और दुग्ध उत्पादन इस क्षेत्र की पहचान है। आजादी के बाद से जनता राजस्व गांव बनाए जाने की मांग करते आ रही है लेकिन किसी ने भी ईमानदार पहल आज तक नहीं की। कांग्रेस ने नगरपालिका इसे बनाया था लेकिन वामपंथ की नीतियों ने इसे नगरपालिका से भी वंचित करवा दिया। सबने इस मुहिम में वामपंथ का साथ दिया और नगरपालिका वापस हो गई। तब सभी राजनीतिक दल इसे राजस्व गांव बनाए जाने की वकालत करते दिखे। आज कोई भी राजस्व गांव के लिए ईमानदार पहल करते नहीं दिख रहा है। आश्वासन तक मामला अटका है। इसके अलावा बात करते हैं लालकुआं शहर की इसे बसे एक सदी गुजर गई लेकिन आज तक वाशिंदों को जमीन का मालिकाना हक़ नहीं मिल सका। हर चुनाव में लालकुआं की जनता को मालिकाना हक़ देने के वादे होते हैं फिर वही ढांक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है। विधायक डा मोहन बिष्ट से जनता को फिर एक बार उम्मीद बंधी है कि वह बिंदुखत्ता व लालकुआं की इस समस्या का हल निकलेंगे। विधायक ने इसके लिए पहल शुरु कर दी है लेकिन क्या वह लालकुआँ और बिंदुखत्ता की जनता का दिल जीत पाएंगे!
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