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तो क्या जोशीमठ में मानव आधारित क्रूरता की परिणति आई सामने! हिमालई राज्यों के लिए अध्ययन टीम का हो गठन! पढ़ें हिमालई राज्यों पर एक नजर! क्या मिलता है ऊर्जा प्रदेश का लाभ! जोशीमठ की घटना@ आ बैल मुझे मार वाली कहावत हुई चरितार्थ! पढ़ें जीवन की कलम से खास बातचीत…

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दूरगामी नयन डेस्क

देहरादून। हिमालई राज्यों को लेकर चर्चा करते हैं क्या हिमालय पर्वत के समीप की पहाड़ियों का भूगर्भीय अध्ययन किया गया ? अंधाधुंध बांध, बिजली परियोजना, वनों का भारी संख्या में कटान, नदियों और पहाड़ियों की जड़ों का खुदान क्या कुछ सितम नहीं ढहाएगा ? गिर्दा का गीत याद आता है! आज हिमालय तुमन कै धतीयछः! हिमालय क्षेत्र के साथ जिस तरह मानवीय क्रूरता हो रही है उसका परिणाम उत्तराखंड राज्य के जोशीमठ में देखने को मिल रहा है! मानव द्वारा लाई गई त्रासदी इसे कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी! हिमालई राज्यों को बचाना है तो अध्ययन किए बिना किसी भी जल सम्बन्धी परियोजनाओं पर अमल करना आपदा को निमंत्रण होगा! केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह हिमालई राज्यों को बचाने के लिए अत्यधिक ऊर्जा उत्पादन का लालच न करे! ऊर्जा प्रदेश वासियों को कितना लाभ ऊर्जा उत्पादन से मिलता है जग जाहिर है। राज्य की बिजली से देश के कई हिस्सों में रोशनी होती है लेकिन राज्य को ऊर्जा उत्पादन के बावजूद सस्ती बिजली नहीं मिली! हिमालई राज्यों का अध्ययन सरकार केंद्रीय स्तर पर करवाए जिससे हिमालई राज्यों को बचाने की दिशा में मजबूत पहल शुरु हो सके। उत्तराखंड के जोशी मठ में मानवीय क्रूरता का परिणाम देखने को मिला है जो हिमालई राज्यों के लिए चेतावनी भर है।

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