संपादकीय
जीवन की कलम से…
नकल माफिया और उत्तराखंड का युवा!
उत्तराखंड में युवाओं के साथ अन्याय कब तक होता रहेगा ये बात हर युवा के जेहन में घर करती जा रही है। पेपर होते हैं तो पर्चा लीक हो जाता है और भर्ती होती है तो नकल माफिया के हाथ सब कुछ होता है। उत्तराखंड के युवा वर्ग में एक निराशा बैठ गई है। हर पेपर में हाकिम जैसों का कब्जा है। मेहनत करने वाले बच्चे कैसे अपना भविष्य बना पाएंगे। रात रात जागकर जो बच्चे परीक्षा की तैयारी करते हैं उनके साथ कब तक अन्याय इस राज्य में होता रहेगा। राज्य बनने के बाद जितनी भर्ती निकली या तो उनका पेपर लीक हुआ या फिर नकल माफिया ने अपनी जैसी की है।
हर जगह बेरोजगारों को छल कपट का सामना करना पड़ रहा है। बेरोजगार बदहाल जीवन यापन को मजबूर हैं तो वहीं पैसे वाले मनचाहे पद बैठ रहे हैं पैसे के बल पर। उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि वह राज्य बनने के बाद हुई सभी भर्तियों की जांच करे और नकल के बल पर रोजगार पाने वाले लोगों को बाहर करे। बीस दरोगा पकड़े गए हैं जो नकल के बल पर दरोगा बने।
सात साल बाद नकल करके दरोगा बने लोग पकड़ में आए हैं जो सोचनीय है। राज्य बनने के बाद हुई सभी भर्ती प्रक्रिया की जांच जरूरी लगने लगी है। हर विभाग में नेता, मंत्री, नकल माफिया के लोग रोजगार पाने में सफल हो गए हैं। सरकार को चाहिए कि वह राज्य को नकल माफिया, रिश्वत माफिया के चंगुल से बाहर निकाले जिससे प्रतिभा को स्थान मिल सके।
संपादक।
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