देहरादून: उत्तराखंड में औद्यानिकी विकास के लिए धामी सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। जापान इंटरनेशनल को-आपरेशन एजेंसी (जायका) ने 540 करोड़ रुपये की लागत वाली उत्तराखंड एकीकृत औद्यानिकी विकास परियोजना को स्वीकृति दे दी है।सचिव उद्यान आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार जायका और केंद्र सरकार के मध्य इस सिलसिले में ऋण अनुबंध पर हस्ताक्षर हो गए हैं। जायका से धनराशि मिलने पर राज्य के चार जिलों टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल व पिथौरागढ़ में परियोजना संचालित की जाएगी। इसके अंतर्गत सेब, अखरोट व कीवी फलों के सेंटर आफ एक्सीलेंस भी स्थापित किए जाएंगे।धामी सरकार के पिछले कार्यकाल में तत्कालीन कृषि मंत्री सुबोध उनियाल की पहल पर उत्तराखंड एकीकृत औद्यानिकी विकास परियोजना का प्रस्ताव केंद्र सरकार के माध्यम से जायका को भेजा गया था। उन्होंने जापान भ्रमण के दौरान इस संबंध में जायका के अधिकारियों से मंथन भी किया। अब यह परियोजना धरातल पर आकार लेने जा रही है। सचिव उद्यान आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार चार जिलों में चलने वाली इस परियोजना में सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना के साथ ही हाईटेक नर्सरी, सूक्ष्म सिंचाई, यूरोपियन सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा जैसी गतिविधियां संचालित की जाएंगी।सचिव उद्यान ने बताया कि टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल व पिथौरागढ़ जिलों में सेब, अखरोट, कीवी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। परियोजना के धरातल पर उतरने से बड़ी संख्या में फल उत्पादक इन फलों के उत्पादन में रुचि लेंगे, जिससे उनकी आर्थिकी सशक्त होगी। उन्होंने बताया कि परियोजना के अंतर्गत चयनित चार जिलों को माडल के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि अन्य जिलों के फल उत्पादक भी यहां औद्यानिकी का प्रशिक्षण ले सकें।कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि किसानों की आय दोगुना करने के मद्देनजर औद्यानिकी को आर्थिकी का महत्वपूर्ण जरिया बनाने के लिए सरकार गंभीरता से कदम उठा रही है। इस क्रम में उत्तराखंड एकीकृत औद्यानिकी विकास परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।
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