- नकल करते पकड़ा गया परीक्षार्थी चार्जशीट दाखिल होने की तारीख से दो से पांच साल के डिबार रहेगा। यदि वह दोषी साबित हो जाता है तो फिर वह आगे 10 साल तक प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकेगा।
- यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमश पांच से दस वर्ष के लिए लिए डीबार रहेगा। फिर दोष साबित होने पर उसे आजीवन के लिए प्रतिबंधित किया जाएगा।
देश के सबसे सख्त नकल विरोधी कानून के अध्यादेश को त्वरित मंजूरी के लिए राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) का हार्दिक आभार। अब प्रदेश में होने वाली प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा में नकल विरोधी कानून लागू होगा। –पुष्कर सिंह धामी, सीएम
देहरादून। राजभवन ने उत्तराखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही ये अध्यादेश प्रदेश में लागू हो गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी की मंजूरी के 24 घंटे के भीतर अध्यादेश को राजभवन से मंजूरी मिल गई।मालूम हो कि राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल और नकल माफिया पर अंकुश लगाने के लिए सरकार सख्त कानून बना रहीं है।
इसके तहत बीते रोज सीएम धामी ने इसके अध्यादेश को मंजूरी देते हुए राजभवन भेजा था। राजभवन ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल ही हरी झंडी दे दी।युवाओं का हित चाहती है सरकार मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि उत्तराखंड में अब जो भी भर्ती परीक्षाएं होंगी, उनमें नकल अध्यादेश के प्रावधान लागू होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, जिन-जिन परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें मिली, पहले उनकी जांच कराई और नकल माफिया को गिरफ्तार कर परीक्षाएं रद्द की और परीक्षाओं की नई तिथि घोषित की गई। इसके साथ ही उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में अभ्यर्थियों के लिए यात्रा की निशुल्क व्यवस्था की गई और परीक्षा फार्म का शुल्क भी नहीं लिया गया।
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