
देहरादून। उत्तराखंड की विधानसभा में उत्तराखंड की जनता के प्रति अपना दिली प्रेम उजागर करने वाले मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को सीएम पुष्कर धामी ने तलब किया है लेकिन उनका निर्णय अभी सुरक्षित है! लोगों में मंत्री के दिली प्रेम उजागर होने के बाद जिस तरह का प्रेम सामने आया है उससे साफ हो गया है कि मंत्री जी राज्य की जनता का बेशुमार सम्मान करते हैं! बताते चलें इनके कार्यकाल में हुई भर्ती और उससे पहले हुई भर्तियों को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने एक झटके में खारिज कर दिया था क्यों ?
ये देवभूमि है और भाजपा संगठन है ! कई ऐसे योद्दा भाजपा संगठन से पैदल हो गए और कर्म फल भुगत रहे हैं! अब प्रेम चंद्र अग्रवाल को वनवास होना है ऐसा जनता दरबार में आवाज उठने लगी है! जिस सीट से मंत्री हैं उस सीट से वार्ड मेंबर तक के लाले पड़ सकते हैं!
पूरे राज्य में विरोध के अंकुर फूट पड़े हैं इसलिए जनता दरबार की मांग है कि मंत्री जी को मंडल से हटाया जाना चाहिए जिससे जनता का रोष समाप्त हो और पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम पुष्कर धामी सरकार के मिशन को धरातल पर उतारा जा सके!
सीएम पुष्कर धामी को चाहिए कि वह अपने विवेक का इस्तेमाल करें और इस तरह के कार्य करने वाले लोगों को नसीहत देते हुए भविष्य के लिए एक नजीर बन जाए ऐसा नियम बनाया जाए।
मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की विदेश यात्रा पर लेकर हुआ विवाद , इससे पहले प्रेमचंद अग्रवाल शहरी विकास मंत्री के नाते बीते कुछ महीने पहले जर्मनी की यात्रा पर गये थे!
उनकी ये यात्रा भी विवादों में फंसी रही. कुछ अधिकारियों और अपनी पत्नी के साथ जर्मनी गए प्रेमचंद अग्रवाल के आने जाने की व्यवस्था जर्मनी की एक कंपनी ने की थी, वो इसलिए क्योंकि यह कंपनी हरिद्वार और देहरादून जैसे शहरों में नगर पालिका और नगर निगम के लिए काम कर रही थी।
उस वक्त प्रश्न उठ रहे थे कि जर्मनी की संस्था जीआइजेड के माध्यम से यात्रा का खर्च उठाने के एवज में क्या नगर निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में उसका सहयोग लेकर उपकृत किया जाएगा? हालांकि ये मामला भी जल्द से जल्द ठंडे बस्ते में चला गया! विदेश दौरे का लाभ क्या हुआ और क्या बदलाव यहां लाया गया!
प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे की नौकरी बनी रहीं चर्चा का विषय प्रेमचंद अग्रवाल एक बार तब भी चर्चाओं में आए जब वह अपने विभाग की समीक्षा बैठक ले रहे थे. उसी विभाग में उनकी पुत्री कार्यरत थी, जिसकी कुर्सी उन्होंने अपने बगल में लगवा दी।
अंदर खाने इसका काफी विरोध हुआ. सामने बैठे अधिकारी सीनियर अधिकारी थे, उनकी पुत्री एक कनिष्ठ अधिकारी है! ऐसे में सवाल उठा कि प्रेमचंद अग्रवाल अपने लोगों या परिवार के सदस्यों को जरूरत से ज्यादा सरकारी बैठकों में तवज्जो दे रहे हैं!
ऐसा ही एक और मामला है जहां नियमों के खिलाफ जाकर उनके बेटे को नियुक्ति दी गई. इस विवाद के बाद प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा उनका बेटा लायक है! इसीलिए उसे इस पद पर बैठाया गया है! लेकिन बाद में विवाद बढ़ता देख उन्हें बैकफुट पर आना पड़ा! उनके बेटे को वह सीट छोड़नी पड़ी!
लगता है पहाड़ के लोगों के प्रति उनका भीतर का गुस्सा कद्दावर नेताओं में शुमार नेता की भूल से बाहर निकल गया और पूरे राज्य में नेता जी का असली चेहरा सामने आया है!
जमीनों के मामले में भी चर्चाओं में प्रेमचंद अग्रवाल भर्ती मामले की जांच और विरोध, जब पूरे प्रदेश में चल रहा था उसी वक्त प्रेमचंद्र अग्रवाल पर एक व्यक्ति ने ऋषिकेश में संपत्तियों को खुर्दबुर्द और अवैध संपत्तियों को खरीदने का गंभीर आरोप कागजातों के साथ लगाया। बताया जाता है इस मामले की अभी भी जांच चल रही है!
अतीत में सवाल हमेशा से यही उठते रहे हैं कि विवादों में रहने वाले प्रेमचंद अग्रवाल पर आखिरकार पार्टी और सरकार खामोश क्यों रहती है?
विवादित मंत्री को सीएम धामी नें किया तलब
मौजूदा समय में हुई एक के बाद एक घटनाओं को देखकर यही लगता है कि इस बार सरकार सख्ती के मूड में है. यही कारण है कि पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें इस पूरे मामले के बाद तलब किया है।
सीएम पुष्कर धामी के मिशन को नुकसान पहुंचाने वालों का सरकार में बने रहना सरकार को नुकसान होगा! केन्द्रीय नेतृत्व को फैसला लेने का अधिकार सीएम पुष्कर धामी को दिया जाएगा तो लगाम टाइट करना आसान होगा और भाजपा के लिए शुभ संदेश भी जनता से आयेगा।
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