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मोदी बचाओ और मोदी भगाओ के नारों के बीच होगा लोकसभा 2024 का चुनाव! पढ़ें संपादक जीवन जोशी की कलम से

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भाजपा बनाम समूचा विपक्ष होगा 2024 का चुनाव!

नैनीताल। लोकसभा चुनावों को लेकर देश में सभी राजनीतिक दल तैयारी करने लगे हैं! समूचा विपक्ष अभी बीजेपी भगाओ अभियान में शामिल हो रहा है! सभी धर्म निरपेक्ष ताकतों ने भाजपा भगाओ का नारा बुलंद करने के लिए नीतीश कुमार के साथ हुंकार तो भरी है लेकिन इस हुंकार का भाजपा पर असर होता दिख नहीं रहा है!

दूरगामी नयन की टीम के अनुसार देश दो धारा में बंटने लगा है एक तरफ हिंदू समाज एक हो गया है तो दूसरी तरफ अन्य धर्म को लेकर सियासत तेजी से चल रही है! अधिकांश विपक्ष के पास एक ही वोटर है उसी में वह अपनी जीत हार का गणित लगा रहे हैं! इधर भाजपा के साथ बहुसंख आबादी के एक बड़ा हिस्सा है जो सदियों से संघर्ष कर रहा है धर्म को बचाने, संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए! देश की जनता का मूड मोदी सरकार के खिलाफ उतना नहीं दिख रहा जितने से सरकार बदली जा सके!

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देश में आधी आबादी के बीच भी मोदी सरकार का जलवा कायम है! गरीब राशन मिलने को मोदी सरकार की सबसे अच्छी पहल मान रहा है! देश में 2024 का आम चुनाव भाजपा बनाम अन्य दल होने जा रहा है! आज भाजपा इस जगह खड़ी दिख रही है कि भाजपा अपने दम पर सरकार बना सकती है! भाजपा का मत प्रतिशत गिर नहीं रहा है बल्कि और बढ़ रहा है!

राष्ट्रवाद की भावना से भाजपा की बहुत बड़ा सब्बल मिला है जो अन्य दलों की कमजोरी बन गया है! धर्म के आधार पर भी लोग भाजपा के साथ होते जा रहे हैं! देश में हिंदुत्व की बयार बहती दिख रही है जबकि समस्या कम नहीं हैं! इसके बावजूद विपक्ष जनता की समस्या को उस तरह नहीं उठा रहा है जिस तरह उठाए जाने की जरूरत है!

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विपक्ष ने जन समस्या को लेकर चल रहे लोकसभा कार्यकाल में एक भी नामचीन आंदोलन नहीं कर सका जिसकी देश जरूरत महसूस कर रहा है! अपने नेता को बचाने के लिए आंदोलन तो होता है लेकिन जनता के सपनों को साकार करने के लिए राष्ट्रब्यापी वह आंदोलन विपक्ष नहीं कर सका जिसकी विपक्ष से उम्मीद की जा रही थी! बुनियादी मुद्दों पर चर्चा हुई ही नहीं तो समस्या का हल कैसे निकलता! देश में फिर से चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है लेकिन किसके बुनियादी मुद्दे क्या होंगे!

कैसे जनता को समझा सकेंगे! ये विषय सिरे से गायब हैं! लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बूथ स्तर तक मजबूत टीम खड़ी कर ली है वहीं विपक्ष का सांगठनिक ढांचा विकसित नहीं हो सका है जिससे आसानी से समझा जा सकता है कि जीतने वाला दल किसके सहारे मत पाने में सफल होगा! चुनाव में विपक्षी दलों की एकता क्या गुल खिलाती है ये तो समय बताएगा।

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