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जानवर को पानी + चारा नहीं मिलेगा तो क्या मानव को वह छोड़ेगा ? हाथी घुसा गांव में एक आदमी को किया घायल! जानवर और मानव पानी को भाग रहे! पढ़ें जानवरों की बढ़ती संख्या पर संपादक की टिप्पणी…

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घायल

बिंदुखत्ता। तराई भावर में पड़ रही भीषण गर्मी से मानव के साथ ही जानवर भी पानी के लिए भटक रहे हैं! जंगली जानवर पानी की खोज में जहां आबादी का रुख कर रहे हैं तो वहीं आवारा घुक्कड़ जानवर पानी के लिए तड़फ रहे हैं लेकिन किसी को उसकी चिंता नहीं है! अब जानवर बोल सकता नहीं वह हिंसक हो सकता है!

जंगली जानवर हाथी ने गत दिवस एक युवा को कुचल दिया! संजयनगर बिंदुखत्ता में रात्रि दस बजे करीब हाथी ने राह चलते आदमी को कुचल डाला जिसका हल्द्वानी चिकित्सालय में उपचार चल रहा है।

जानवर पानी कहां पीने जायेंगे ? आबादी के बीच जहां पानी होगा, चारा होगा वहीं तो जानवर जायेगा! जिंदा रहने के लिए जानवर को भी चारा और पानी आदमी की भांति चाहिए। आज देखा जाए तो पानी लगातार धरती में गहराता जा रहा है जो चिंता का विषय है।

जंगलों में जो नदी नाले होते थे वह अधिकांश सूख गए हैं जिससे जानवर गांव का रुख कर रहे हैं जो खतरनाक साबित हो सकता है। आज हाथी आ रहे हैं, फिर शेर आयेगा, आ ही रहा है। वन विभाग को जंगलों में पानी और चारा कैसे प्रचुर मात्रा में पाया जाए जिससे जानवर जंगल में रह सकें सकून के साथ ये चिंता और चिंतन का विषय वन विभाग के लिए है।

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आवारा घुमन्ती प्रजाति के गो वंश में निरंतर वृद्धि हो रही है इनके लिए हर तहसील क्षेत्र में एक खोड़ बने जिसमें फंड गठित हो। दानवीर इसमें सरकार को सहयोग करें। बात तो खूब हो रही है लेकिन गो वंश की दुर्दशा किसी को क्यों नहीं दिख रही है ? हर नेता और अधिकारी राह चलते जानवरों को देखकर निकल रहे हैं , कितने जानवर रोज दुर्घटना का कारण बन रहे हैं।

सरकार के साथ ही गोमाता की पूजा करने वाले लोगों को आगे आना होगा। सामूहिक रूप से किया गया प्रयास कभी विफल नहीं होता। तमाम संगठन हैं, मीडिया में पोस्ट डालकर कॉमेंट लाइव आदि सब ऐसे करते हैं जैसे यही सच्चे पशु प्रेमी होंगे, मेनका गांधी यही होंगे ?

धरातल पर काम करने वाले लोगों की आज दरकार है मिलकर इस समस्या का हल खोजना समय की जरूरत है। इसमें जितनी देर हो रही है वह मानव जाति के लिए खतरे की घंटी निकट है। जानवर बेहिसाब बढ़ गया है और चारा पानी समुचित रूप से नहीं मिल पा रहा है ।

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जानकारों की मानें तो इससे जानवर के हिंसक होने का खतरा बढ़ सकता है। जन जागरूकता अभियान चलाया जाए और आवारा व जंगली जानवर के लिए पानी, चारा कैसे प्रचुर मात्रा में मिले ये लोगों से पूछा जाए तथा वन विभाग गोष्ठी आयोजित कर अपने व दानवीरों के सहयोग से इस समस्या का हल निकाले।

इधर बताते चले जंगली जानवर से उत्तराखंड के गांव खतरे में आते जा रहे हैं जिसका हल निकाले जाने की जरूरत है। न खेती हो रही है पहाड़ में जंगली जानवर कुछ नहीं होने दे रहे तो मैदान में आवारा जानवर खेती, बाड़ी के दुश्मन बने हैं।

धरातल पर समस्या चिंताजनक है लेकिन इसका एहसाह होने के बावजूद समाधान नहीं निकाला जा रहा है तब क्या उम्मीद की जाए ? सामाजिक सरोकार से ओतप्रोत लोगों को भी मैदान में उतरना चाहिए। मीडिया में जितना प्यार जानवरों से लोगों द्वारा झलकाया जा रहा है, रोटी देते फोटो सूट कर डाली जाती है, अच्छी बात है लेकिन धरातल पर भी ये प्यार दिखना चाहिए।

धर्म कर्म की जब बात होती है तो इस विषय से बड़ा धर्म क्या होगा ? सामूहिक पहल की भी आवश्कता है इसलिए जानवर बचाओ इंसान बचाओ नारा लगाना ही नही साकार करना होगा।

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