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वर्षा ऋतु और उत्तराखंड! पढ़ें आज की संपादकीय…

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संपादकीय

उत्तराखंड में वर्षा ऋतु आते ही आपदा का मानो पहाड़ टूट जाता है। हर साल इसमें बढ़ोत्तरी हो रही है। सड़कों का टूटना, पुलों का बहना, लोगों का घरों के अंदर दबकर मरना, नदियों में पानी के साथ बह जाना आम बात हो जाती है।

उत्तराखंड को आपदा प्रदेश कह दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी! केंद्र सरकार उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा हमेशा के लिए दे जिससे यह प्रदेश आगे बढ़ सके।

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हर साल जितना नुकसान आपदा में होता है उससे राज्य कर्ज में डूबता जा रहा है। सरकार कर्ज लेकर वेतन देती रही हैं! इस युवा राज्य को केंद्र सरकार विशेष रूप से मदद करे जिससे इस राज्य को देश का सबसे अग्रणीय राज्य बनाया जा सके!

युवा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सरकार लगातार केंद्र सरकार से संपर्क कर विकास के लिए गुहार लगा रही है। सीएम पुष्कर धामी सरकार आपदा प्रबंधन में पास तो है लेकिन सरकार भी इस आपदा प्रबंधन में विफल हो जाती है।

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पहाड़ों का दरकना सबसे बड़ी समस्या हो गई है! कब किस पहाड़ी से पत्थर गिर पड़े कोई पता नहीं। अभी हाल में जनता की सुरक्षा को तैनात पुलिस कर्मचारी की यमुनोत्री में पत्थर गिरने से मौत हो गई।

इसके अलावा परंपरागत नदी नालों में अतिक्रमण होने से पानी निकासी के अधिकांश रास्ते बिल्डरों ने बंद कर दिए हैं जिससे स्थिति और अधिक बिगड़ गई है।

संपादक

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