Durgami Nayan

Latest Uttarakhand News in Hindi

श्रीकृष्ण ने जब अर्जुन से कहा मन को जीतना वायु को रोकने समान है! पढ़ें आज का विचार…

खबर शेयर करें -

मन को साध लेना ही जीवन की साधना है। जिसका मन वश में नहीं है, वही इंसान तो विवश है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि ये मन बड़ा ही चंचल, प्रमथ स्वभाव वाला, दृढ़ और बलवान है। इसलिए इसे रोकना वायु को रोकने जैसा है। सबसे पहले मन को जीतना है।

यह भी पढ़ें 👉  Breking news: बरसात से पूर्व ही आपदा प्रबंधन की व्यवस्था को लेकर बैठक! पढ़ें क्या है मानसून सत्र की तैयारी...

भगवान कहते हैं मन ना तो कभी तृप्त होता है और ना ही एक क्षण के लिए शांत बैठता है। यह अभाव और दुःख की ओर बार- बार ध्यान आकर्षित कराता रहता है।

थोड़ा सा सम्मान कम मिलने पर अकारण ही यह अपमान होने का अहसास कराता है। मन ही तो मान-अपमान का बोध कराता है। अशांति कहीं और से नहीं आती, भीतर से आती है, इसका जन्मदाता मन है।

यह भी पढ़ें 👉  * ब्रेकिंग न्यूज * शटल सेवा से होगा अब पहाड़ का सफर! पर्यटकों की सुविधा को बनेगा कंट्रोल रूम! पढ़ें क्या नया होने जा रहा है...

जिसने मन को साध लिया वही तो मुनि है। निरन्तर अभ्यास से इस मन को नियंत्रित किया जा सकता है। जो भीतर शांत है उसके लिए बाहर भी सर्वत्र शांति है। निरंतर अभ्यास से मन को नियंत्रित करने का प्रयास करें क्योंकि जो मन से हार जाता है फिर वो सब से हार जाता है। जिसने मन को वश में कर लिया समझो दुनिया उसकी मुठ्ठी में कैद है।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
Ad