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कड़ाके की ठंड और कोहरे के आगोश में तराई भाबर! पढ़ें सबके घर दूध पहुंचाने वाले का हाल…

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लालकुआं/बिंदुखत्ता । क्षेत्र में कड़ाके की ठंड जहां हो रही है वहीं कोहरे की दस्तक ने राहगीरों के कदम धीमे कर दिए हैं! सुबह और शाम कोहरे के साथ बहुत कड़ाके की ठंड पड़ रही है जिससे गरीब वर्ग आग के सहारे ठंड से जान बचा रहा है तो वहीं सरकार के फरमान के बाद कई जगह अलाव जलाए जाने लगे हैं।

घने कोहरे से जनजीवन प्रभावित हुआ है और खेती किसानी से जुड़े लोग, पशु पालन से जुड़ी महिलाओं के लिए ठंड से बचना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है!

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पशुपालन से जुड़े लोग कहते हैं ठंड के चलते पशुपालन का कार्य बेहद कठिन परिश्रम साबित हो रहा है। इधर वाहन चालक भी कोहरे की दस्तक से पीली लाइट के सहारे वाहन चला रहे हैं।

कोहरे की मार से सब्जी का कार्य करने वाले कृषक भी सब्जी की फसल खराब होने की आशंका जता रहे हैं।

सरकार ने ठंड से बचाव के लिए प्रशासन को उचित दिशा निर्देश दिए हैं। हर घर तक बच्चों के लिए दूध पहुंचे इस सोच के साथ दुग्ध उत्पादक उत्पादन के लिए कितनी समस्या का सामना करता है और उसे कितना मूल्य मिल पाता है ये उत्पादक ही जानता है!

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जो पशु के पालन के खर्च भी नहीं पा रहा है लागत मूल्य भी उत्पादक को नहीं मिल रहा है जबकि सरकार ने अतिरिक्त सहायता भी दी है इसके बावजूद उत्पादक के सामने पशुपालन करना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है।

उत्पादक कहते हैं ठंड में अलाव दुग्ध समिति स्तर पर जलाया जाए तो दूध देने वाले उत्पादक को समिति की लाइन में लगने के बाद आग सेकने से कुछ राहत मिल जाती।

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