
भीमताल।
पाण्डवों द्वारा भीम को सर्व प्रथम कैलाश के पुजारी के रूप में नियुक्त करने के बाद भीम भीमताल को चले गए।तब दुर्योधन द्वारा पाण्डवों को ढूंढ कर पहचानने के लिए हिडम्बना राक्षशी का पुत्र वीर घटोत्कच भेजा गया ताकि पाण्डवों के बनवास व अज्ञातवास की अवधि बढ़ाई जा सके। भीमताल नामक स्थान पर पाण्डवों की घटोत्कच से भेंट हो गई। पाण्डव घटोत्कच को देखते ही कोरवों के रहस्य को समझ गये। घटोत्कच का भीम से घनघोर युद्ध हुआ। उन दोनों वीरों की लड़ाई में जमीन पर बहुत बड़ा गड्ढा बन गया और घटोत्कच मारा गया घटोत्कच के मरने की गर्जना से धरती ने भी पानी बाहर निकाल दिया। जहां पर उसकी लाश को गाढ़ा गया उसके ऊपर भगवान शंकर का एक लिंग की स्थापना कर उसकी वन्दना की गयी जिसे मन्दिर भीमेश्वर महादेव नाम से जाना जाता है। आजकल इस भीमताल में आइसलैण्ड नाम से एक रेस्टोरेंन्ट भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। भीमताल के पास ही सातताल नामक स्थान पर हिडम्बना आश्रम भी है यहां हिडम्बना कोट पर्वत भी है। जहां पर शेर और मृग एक साथ जल पीते हैं क्योंकि यहां जंगल बहुत घने है। हिडम्बना आश्रम में एक साधु तपस्वी रहते है पर्यटक रोज यहां आते जाते रहते हैं।

More Stories
ब्रेकिंग न्यूज: केदारनाथ जा रहे हेलीकॉप्टर में आई खराबी! इमरजेंसी लैंडिंग! पायलट को मामूली चोट! यात्री सकुशल! पढ़ें खास अपडेट…
UKSSSC भर्ती :- LT भर्ती को लेकर बड़ी खबर, सैकड़ों अभ्यर्थियों को मिली राहत, जल्द होगी नियुक्ति – देंखे VIDEO
हल्द्वानी:-शहर के प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में मरीज को देखने आई महिला से छेड़खानी का मामला आया सामने…