Durgami Nayan

Latest Uttarakhand News in Hindi

कहां मिला अर्जुन को अमोघ अस्त्र! पढ़ें पांडवों की कहानी

खबर शेयर करें -

रोंसिला

छोटा कैलाश ( नैनीताल) की प्रचलित कथा व जानकारी के अनुसार कुमाऊं में उस समय‌ सूर्य वंशी राजाओं लव व कुश का शासन था, साथ ही यहां की सब पहाड़ियां सदैव बर्फ से ढकी रहती थी। यहां के देवगुरु में वृहस्पति भगवान का मन्दिर ( जो आज देवली पटलों नाम से जाना जाता है) प्रसिद्ध है इस कैलाश की त्रेता युग में पूर्ण व्यवस्था राजा लव कुश ने की थी।
द्वापर युग में जब पाण्डवों को बनवास हुआ था तब वह इस देव भूमि में आये एक रात इस कैलाश पर्वत पर भी रहे। भगवान शंकर ने किरात का रूप धारण करके अर्जुन के साथ युद्ध इसी चोटी पर किया। तब श्री कृष्ण भगवान उनके बीच बचाव के लिए प्रकट हुए। उन्होंने पाण्डवों से कहा यह भगवान त्रिपरारी हैं इनका यहां निवास है। तब अर्जुन ने शंकर की स्तुति इसी स्थान पर की और प्रसन्न होकर शिवजी ने अर्जुन को अश्त्रो में अमोघ अश्त्र पशुपति अश्त्र इसी कैलाश में प्रदान किया और भीम कैलाश के प्रथम पुजारी बने इसे भीमशंकर कैलाश नाम से भी जाना जाता है। यहां भीमताल से व जमरानी मार्ग से भी रास्ता है, चाफी, मलुआताल, अमदों, के रास्ते रात को शिव जटा में रात्रि विश्राम भी किया जा सकता है। शिवरात्रि में यहां भारी मेला होता है और हर भक्त की मनोकामना आज भी पूरी होती है। यहां एक बार जो जाता है फिर बार बार जाने को उसका दिल करता है। पांच किलोमीटर से अधिक की चढ़ाई पैदल ही पार करनी होती है। आस पास रहने वाले गांवों के लोग हर साल यहां शिव रात्रि का इंतजार करते हैं। मेले में दुकानें भी अब लगती हैं तथा अब यहां कमेटी भी बन गई है जो इसकी देख रेख करती है।

यह भी पढ़ें 👉  योगी आदित्यनाथ दस दिन में दें सीएम पद से इस्तीफा! वरना उड़ा देंगे! पढ़ें कहां से आई धमकी...
Ad
Ad
Ad
Ad