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जीवन की कलम से:- देश को खतरे में डाल रही भड़काऊ मीडिया पर कार्यवाही करें सूचना विभाग, जाने कौन हैं सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाली ये मीडिया ….

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नई दिल्ली

देश में उन्माद भड़कने के कारणों पर विचार किया जाना बेहद जरूरी हो गया है इसलिए देश सूचना विभाग को कड़े कदम उठाने होंगे। देश में आजादी का आंदोलन जब चल रहा था तब प्रिंट मीडिया माध्यम हुआ करता था दो पन्नों के लघु समाचार पत्र के दम पर क्रांति को फैलाया जाता था। धीरे धीरे प्रिंट मीडिया माध्यम बना और प्रिंट मीडिया ने आजादी के आंदोलन को धार देने का काम किया था। आजादी के बाद भी दो दशक पहले तक प्रिंट मीडिया ही एक सशक्त हस्ताक्षर हुआ करता था जिसने समाज को साहित्य दिया, संस्कार दिए, गलत का विरोध किया और देश प्रगति पथ पर चल रहा था। पाठकों, लेखकों अथवा संवाददाता का एक अटूट रिश्ता कायम था। लेकिन लगभग दो दशकों से राजनेताओं ने प्रिंट मीडिया को बरबाद करने और उनको बदनाम करने की मानो मुहिम चला दी और प्रिंट मीडिया को दिल में बसाना शुरु कर दिया।

इसके पीछे का सच ये रहा कि प्रिंट मीडिया फर्जी नेताओं, दलालों, देश विरोधियों को अपने समाचार पत्र में जगह नहीं देते थे और सत्य वचन लिखने के लिए मिशन बतौर काम करते थे। प्रिंट मीडिया दलालों का अड्डा नहीं बनता था और पाठकों की राय को उनके अधिकारों को दिलाने के लिए बेबाक कलम चलाता था। संपादक संवाददाता की कलम को रोकता नहीं था। धीरे धीरे पहले तो प्रिंट मीडिया को कमजोर करने का कुचक्र शुरू हुआ। प्रिंट मीडिया में जबर्दस्त हस्तक्षेप किया गया यहां तक कि कुछ समाचार पत्रों के संपादकों की हत्या कर दी जाती थी। हत्या का सिल सिला चलने के साथ ही दलाल प्रथा हावी होती चली गई और कुछ समाचार पत्र दलालों देश विरोधियों ने खरीद लिए और उनको सत्ता से खूब धन लाभ दिलाने और मनमर्जी के समाचारों को छापने की बयार चलने लगी। जो समाचार पत्र सत्य वचन लिखने वाले थे उनको डराने व बंद करवाने की मानो देश में मुहिम सी चल पड़ी। इसके बाद जो संपादक गलत का विरोध करते थे उनको या तो मरवा दिया जाता था या फिर उनको इतना भयभीत कर दिया गया की वह सत्य छापने से दूर मनमर्जी के समाचारों को छापने लगे। इसके बाद देश विरोधी नेताओं ने कई प्रेस खरीद डाली और अपराधियों को समाचार पत्रों का मालिक बना दिया और जनता की आवाज, सत्य वचन लिखने वाले पत्रकारों से वंचित करो अभियान चल गया और प्रिंट मीडिया को तरह तरह से बदनाम करने की देश व्यापी मुहिम को तेज कर दिया गया। जो समाचार पत्र सत्य लिखते थे उन पर हल्ला बोल कर उनका साजिश के तहत दमन किया गया। इसके बाद भी जब प्रिंट मीडिया ने सत्य वचन लिखने का मिशन जारी रखा तो साजिश कर्ताओं ने विकल्प की तलाश शुरू कर दी। साजिश के तहत इलेक्ट्रानिक मीडिया को देश में जन्म दिया गया। पाठकों को इलेक्ट्रानिक मीडिया ने प्रिंट मीडिया से दूर करने का मानो अभियान चलाया जिसमे वह कुछ हद तक कामयाब भी हुए। इसके बाद भी जब प्रिंट मीडिया से पाठकों का मोह भंग नहीं हुआ तो दलाल प्रथा को सियासत में लाने के लिए पूरे देश में नई साजिश रची गई और डिवेट करने का फार्मूला तय किया गया। इसके द्वारा चोर डकैत सब ईमानदार बनकर राजनीति में आने लगे और देश में सत्य को पाठकों से छिपाने का देश व्यापी अभियान चलाया गया जिसमें कुछ हद तक दलाल व देश द्रोही कामयाब भी हो गए। प्रिंट मीडिया ने फिर भी सत्य वचन लिखने का अभियान जारी रखा जो आज भी जारी है। इसके बाद हर दल ने अपना अखबार निकालो अभियान चलाया जो अभी भी जारी है। लेकिन मिशन बतौर काम करने वाले पत्रकार लिखते रहे जो आज भी लिख रहे हैं। फिर अभियान चला जो सरकार व माफिया ताकतों के खिलाफ लिखे उस समाचार पत्र को सरकारी विज्ञापन मत दो। लेकिन प्रिंट मीडिया ने कहा वह जनता से विज्ञापन लेकर चलेंगे। इसके बाद दलाल किस्म के नेताओं और माफियाओं ने टीवी डिबेट को तेज करो अभियान चलाया जो वर्तमान में खूब पसंद किया जाता है। इसके पीछे का सच आम जनता को नहीं मालूम कि ये क्यों हो रहा है। पाठकों को लगने लगा प्रिंट मीडिया तो आंखों से बहस दिखा रहा है खूब चर्चा होती है और पाठक दलालों की साजिश से अनभिज्ञ थे जो आज भी हैं। अब देखो हो क्या रहा है प्रिंट मीडिया हर तरह के लोगों को डिबेट में बिठा कर मदारी का जैसा नाटक दिखाते है और चोर, डकैत, माफिया तक इसमें चिल्लाते हैं, जिसके मन जो आए वो इस अवसर पर इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से बोलते हैं जो पूरी दुनियां को सुनाते हैं। आज इलेक्ट्रानिक मीडिया देश में दंगे फसाद करवाने में माहिर हो गया है। जिसके मन जो आए वो इन चैनलों से कहता है। एक एंकर हो जाता है तो बाकी बैठने वाले देश भक्त नजर आने लगते हैं। डकैत भी इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से नेता से सुपर नेता बन जाता है। अब ये इलेक्ट्रानिक मीडिया देश के लिए नासूर बन गया है। पिछले दिनों जो बबाल सामने आया और जो हिंसा देश में हो रही है उसका असली कारण इलेक्ट्रानिक मीडिया है। बेमतलब की डिबेट से देश को दुनियां की नजर में बदनाम भी यही कर रहा है। बिना आर एन आई के हजारों चैनल, पोर्टल, बेबसाइड, यू ट्यूब चैनल जनता में अपनी गंदी हरकतों को परोस रहे हैं जिसका जनता भी स्वागत कर रही है। जनता के साथ ये धोखा करने वाले लोग इसी तरह चलते रहे तो देश फिर से गुलाम हो जायेगा और अपराधी देश को दुनियां के सामने बदनाम करके देश की छवि धूमिल करो अभियान में सफल हो जायेंगे, क्योंकि इन पर सूचना विभाग की नकेल नहीं है। सूचना विभाग इलेक्ट्रानिक चैनलों पर होने वाली डिबेट को तत्काल रोके और बिना आर एन आई के सभी पोर्टल, यू ट्यूब चैनल बंद करे वरना ये साजिश कर्ता देश की आजादी के लिए संकट साबित होंगे। केंद्र सरकार व प्रदेश सरकारें, सूचना विभाग इस गंभीर मामले का संज्ञान लेने की पहल करें। गृह मंत्रालय भी इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कठोर निर्णय लेकर फर्जी पत्रकार व बिना आर एन आई की अनुमति चलने वाले पोर्टलों यू ट्यूब चैनल बंद करे। वरना देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

दूरगामी नयन संपादक:: जीवन जोशी की कलम से…

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