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✍️जीवन की कलम से :- राजाराम मोहन रॉय ने सबसे अच्छा काम क्या किया था, पढ़ें खास रिपोर्ट…

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देहरादून। आज ही के दिन सन 1772 में राजाराम मोहन रॉय का जन्म हुआ था। राजाराम मोहन रॉय को अरबी, संस्कृत, पर्शियन, अंग्रेजी, बंगला, हिंदी भाषा का ज्ञान था। उन्होंने भारत में सबसे पहले पांव जमाने के लिए एक ऐतिहासिक कुप्रथा को हटाने की मुहिम चलाई जिस मुहिम में उनको समाज के बुद्धिजीवी वर्ग का साथ मिला। ये कुप्रथा थी *सती प्रथा* इसके खिलाफ उन्होंने जो आंदोलन किया उसी का परिणाम है कि जो सती प्रथा से देश को मुक्ति मिली आज पुरुष के मरने पर किसी महिला को सती नहीं होना पढ़ता! पहले क्या होता था कि जब पति मरता था तो पत्नी को भी कुप्रथा के चलते मजबूरी में पति की चिता में कूदकर जबरन मरना होता था। राजाराम मोहन रॉय ने इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए जो काम किया उसके लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा। इसके बाद उन्होंने रंग बदल दिया या क्या हुआ नहीं कह सकते वह मूर्ति पूजा के खिलाफ आंदोलित हो गए और वह मूर्ति पूजा पर विश्वास नहीं करने लगे और उन्होंने नया कदम बढ़ाते हुए सन 1816 में भारत के अंदर अंग्रेजी स्कूल की बुनियाद डाल दी। वह भारत को वैज्ञानिक आधार पर खड़ा करने के पक्षधर हो गए। इससे उनका धार्मिक समाज ने उतना समर्थन नहीं किया जितना उनको उम्मीदें थीं। कह सकते हैं कि उन्होंने भारत को सती प्रथा से मुक्ति दिलाने में जो किया उसके लिए उनको सदा याद किया जाएगा। आज उनकी जयंती पर नमन किया जाना चाहिए जिसने आधी आबादी को जीवन दान देने का काम किया था।

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