वाराणसी।
ज्ञानवापी परिसर में जांच का काम पूरा होने के बाद जहां हिंदू समाज शिवलिंग मिलने का दावा कर रहा है उस जगह को कोर्ट ने सील कर दिया है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर चर्चा होगी तो वहीं ज्ञानवापी परिसर को लेकर फैसला होना है। कोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हैं। पूरा देश इस समय ज्ञानवापी परिसर को देख रहा है। शिव मंदिर होने के दावे को शिव लिंग मिलने से बल मिला है कि मस्जिद से पहले ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं का ही शिव मंदिर परिसर रहा होगा जिसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया होगा! दूसरी ओर कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद मुस्लिम धर्म के अनुयाई तहकथित नेताओं ने बैठक बुलाई है। मुस्लिम समाज के एक नेता ने बरेली में बयान जारी करके विगत दिनों अपरोक्ष रूप से धार्मिक उन्माद भड़काने जैसे विषय पर आपत्तिजनक बयान तक दिया है जबकि हिन्दू समाज अपने ही देश में अदालत के आदेश का पालन कर रहा है वहीं दूसरी ओर मुस्लिम धर्म के अनुयाई अपने को कहने वाले अदालत को ही आंखें दिखाने जैसा काम कर रहे हैं जो लोकतंत्र के खिलाफ कहा जायेगा। सोचने की बात है जब लोकतंत्र पर विश्वास तो अदालत पर अविश्वास क्यों है! एक देश एक कानून एक जैसा राशन कार्ड एक जैसा खून फिर झगड़ा क्यों है ? झगड़ा है तुष्टिकरण की सियासत का! मुस्लिम समाज को चाहिए जो धार्मिक इष्ट देवता मंदिर हिंदुओं के हैं उनको हिंदुओं को तिलक लगाकर दे दिए जाएं जिससे हिंदू समाज का मुस्लिम समाज दिल जीत सकता है। झगड़े की जड़ों का कोर्ट के फैसले से ही समाधान संभव है। हिंदू धर्म के अनुयाई सुनकर कितना खुश हो रहे हैं कि ज्ञानवापी में शिव लिंग मिला है जिसका मुंह मां नंदी की तरफ है। कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का मतलब हम अपनी दादागिरी से समानांतर सरकार चलाना चाहते हैं या फिर आजादी के बाद से अपने अनुरूप ही कानूनों में संशोधन करवाते रहे! सोचने की बात है सबको पता है राम का जन्म अयोध्या में हुआ और कृष्ण का मथुरा में हुआ सबने किताबों में पढ़ा है अब जहां जन्म हुआ मंदिर उसी स्थान पर मौजूद होगा या फिर मक्का मदीना में होगा! हिन्दुस्थान आज अपने देवताओं को कैद से मुक्ति दिलाने के लिए मजबूरी में अदालत के पास जा रहा है जो हिंदू समाज की लोकतंत्र के परती आस्था को दर्शाने को काफी है! अदालत ने शिव लिंग मिलने के दावे वाली जगह को सील कर दिया है। देश में कुछ लोग धार्मिक उन्माद को हवा देने का मानो प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए खुपिया तंत्र को सचेत से भी ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। कोर्ट का फैसला आज नहीं तो कल सार्वजनिक होने ही है इसलिए सरकार अपने तंत्र को पहले से ही सावधान की मुद्रा में तैयार रखे। 2024 का लोकसभा चुनाव मुद्दे तलाश रहा है इसलिए सियासत से हटकर तंत्र को पहले से भी ज्यादा तैयार रहना होगा। लोकसभा 2024 का चुनाव जहां भाजपा फिर जीतना चाहेगा वहीं दूसरी ओर धर्म निरपेक्षता की बात करने वाले दल हैं। देश में हिंदू समाज में खुशी की मानो लहर चल रही है। इधर मुस्लिम धर्म निरपेक्षता के दावेदार शिव लिंग को मस्जिद का ही पार्ट बता रहे हैं जबकि नंदी पहले से विराजमान है।
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