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उपचुनाव स्पेशल (जीवन की कलम से):सावधानी हटी दुर्घटना घटी! …

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चंपावत

विधानसभा चुनाव 2022 में भी वो रंगत देखने को नहीं मिली जो इस उपचुनाव में चंपावत का नजारा देखने को मिल रहा है! यहां काली कुमाऊं में भगवा लहर मानो चल पड़ीं है लोग मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को लेकर खुश हो गए हैं कि उनको सीएम चेहरा मिला है। सीएम पुष्कर धामी ने भी धरातल पर उतरकर लोगों के बीच जाने का जो फैसला किया है उससे माहौल तैयार हो गया है दूसरी ओर सीएम पुष्कर धामी की धर्म पत्नी गीता धामी ने भी धरातल पर जो पहल की है वही जीत का आधार बनेगा अति अविश्वास दुःखदाई होता है इसका ताजा उदाहरण 2022 के चुनाव में देखने को मिला। पूर्व सीएम हरीश रावत ने अति उत्साहित होकर जिसे जनता से मिलना उचित नहीं समझा सिर्फ एक वर्ग घेरे तक सिमटे रहे जिनको वोट देना था उन तक रावत जी नहीं गए! लोगों के भरोसे वाले काम में व खुद के लिए काम में बहुत बड़ा फर्क होता है आत्म विश्वास किया जाना चाहिए लेकिन अंध आत्म विश्वास के परिणाम अनुकूल नहीं भी हो सकते हैं। प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद जिम्मेदारी हो जाती है की मतदाता तक पहुंच कर अपनी बात रखी जानी चाहिए। विश्वास करो अति उत्साहित व अति आत्म विश्वास नहीं हो ये जनता को जनार्दन भी कहा जाता है। पूर्व सीएम हरीश रावत अब तक माथा पीट रहे हैं कि उन्होंने धरातल से दूर रहकर भूल कर दी। लालकुआं में हरीश रावत पदयात्रा निकाल कर गावों तक पहुंच गए होते तो उनको हार का मुंह देखना नहीं पड़ता। चुनाव में एक गिरोह सक्रिय हो जाता है जो गुमराह करने हराने जिताने का मानो प्रचार प्रसार गैंग इसे कह सकते हैं। चुनाव को चुनाव समझकर गणित लगाने वाले कभी हार का मुंह नहीं देखना पड़ता। इतिहास गवाह है जमीन से जुड़े लोग अपने आप पर विश्वास करते हैं हवा में सियासत करने वाले चमचे पलकर उनके इशारों पर विश्वास करते हैं जिससे पराजित होना तय हो जाता हैं। चुनाव की पहली रात जिसने बूथ लेवल पर विश्वास कायम किया वही जीत दर्ज करता है। लोकतन्त्र में जनता के मूड को भांप पाना बेहद ही कठिन गणित है! चंपावत में अभी बड़े नेता नहीं पहुंचे हैं जिसके बाद ही पता चलेगा की चुनाव किस करवट बैठेगा। काली कुमाऊं से भाजपा प्रत्याशी सीएम पुष्कर धामी अब तक नंबर एक पायदान पर नजर आ रहे हैं उनकी धर्म पत्नी गीता धामी ने भी धरातल पर विश्वास करते हुए जनता से सीधे संवाद शुरू कर दिया है। सीएम चेहरा होने के कारण कांग्रेस ने भी बड़े नेता उतारने से मानो परहेज किया है जिससे भाजपा की जीत पक्की कही जा रही है फिर भी चुनाव तो चुनाव ही होता है। वाहनों के पीछे लिखा होता है *सावधानी हटी दुर्घटना घटी*

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