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सम्पादकीय(जीवन की कलम से):-देश में विपक्ष कर रहा चिंतन!

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सम्पादकीय
जीवन की कलम से
देश में विपक्ष कर रहा चिंतन!
भारतीय राजनीति में कब कौन सी उथल-पुथल नई हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। यहां हर राजनीतिक दल भाजपा सरकार से खार खाए बैठा है और 2024 के चुनाव से पूर्व देश में साम्प्रदायिक माहौल को विपक्ष बिगाड़ सकता है इसलिए देश की गुप्तचर संस्थाएं एवं उच्च स्तर पर बैठे जिम्म्ेदार लोकतंत्र के प्रहरियों को हर स्तर पर चिंतन व मनन करना होगा। हाल के दिनों में देखा गया है कि कुछ लोग धार्मिक भावनाओं को भडकाकर दंगा फसाद करवाने की तैयारी में थे कि पुलिस ने तत्काल स्थिति को काबू कर लिया जिसके लिए नैनीताल जनपद की पुलिस बधाई की पात्र है। आगामी 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं इसलिए विपक्ष किस हद तक जा सकता है कहना कठिन है। सरकार के अंगों को यह चुनौती बतौर स्वीकार करना होगा। चुनाव से पहले देश में धर्म निरपेक्षता का चोला पहले लोग भाजपा के राष्ट्रवाद का समर्थन तो करेंगे नहीं वह कौन सा नया बखेड़ा खड़ा कर दें कोई पता नहीं। देश में हिन्दु व मुस्लिम के बीच कुछ लोग दंगा करवाने के मूड़ में नजर आते हैं जिसमें दंगाई भी शामिल हो सकते हैं। चुनाव में भाजपा सरकार के खिलाफ कैसे जनता को गोलबंद किया जाए और किस विषय को पटल पर लाया जाए! कांग्रेस तो 2024 के चुनाव के लिए अभी से पीके ग्रुप को लाने जा रही थी कि बात बिगड़ गई है। देश में वामपंथ और धर्मनिरपेक्ष अपने को कहने वाले क्या 2024 में फिर भाजपा सरकार की वापसी चाहेंगे! पूरे देश का विपक्ष भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए 2024 के चुनाव में कोई हद तक जा सकता है इसलिए भाजपा सरकार को धरातल पर भी नजरों को मजबूत रखना होगा। देश में महंगाई व बेरोजगारी को जहां हथियार बनाया जा सकता है वहीं देश में तुष्टीकरण की सियासत करने वाले अपने लाभ के लिए उपद्रव भी करवा सकते हैं जिसे रोकना होगा। धार्मिक हिसा को हवा देने की तैयारी मानो चल रही है। हाल के दिनों में एक अल्पसंख्यक नेता ने विवादित बयान दिया था जिसे हिसा से जोड़कर देखा जाना चाहिए। सड़कों पर उतरने की जब धमकी दी जाने लगी है तो उतरने में देर कैसी! विपक्षी दल चाहते भी हैं कि 224 से पहले कुछ ऐसा किया जाए कि मोदी सरकार को बदनामी का दाग लग जाए और विपक्ष की मन जैसी हो जाए। लगता है 2024 के चुनाव से पूर्व विपक्ष नया राजनीतिक समीकरण तैयार कर सकता है और बदलाव के लिए समूचा विपक्ष एक छतरी के नीचे आ सकता है।
सम्पादक

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