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कमजोर शुरुआत के बाद शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी, सेंसेक्स-निफ्टी कभी हो रहे लाल तो कभी हरे

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कमजोर शुरुआत के बाद शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी, सेंसेक्स-निफ्टी कभी हो रहे लाल तो कभी हरे

Share Market Live Update: घरेलू शेयर बाजार आज यानी शुक्रवार 16 जून को गिरावट के साथ खुला। बीएसई का 30 स्टॉक्स वाला प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 313 अंकों के नुकासान के साथ 51181 के स्तर पर खुला। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी आज के दिन के कारोबार की शुरुआत लाल निशान के साथ की। 

9:50 बजे: शेयर बाजार में अब थोड़ा सुधार दिखने लगा है। सेंसेक्स और निफ्टी हरे निशान पर आ गए हैं। सेंसेक्स अभी 51560 के पार कारोबार कर रहा है। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 17 स्टॉक लाल निशान पर थे।

बता दें अमेरिकी शेयर बाजार गुरुवार को भारी गिरावट के साथ बंद हुए। डाऊ जोंस 2.42 फीसद टूटकर 29927 पर आ गया है। यह 52 हफ्ते के लो 29540 के करीब है। पिछले 5 सत्रों में यह करीब 2071 अंक टूटा है। 10 जून को यह 32000 के स्तर पर था। वहीं, नैस्डैक में 4.08 फीसद की भारी गिरावट हुई और यह 10646 पर आ गया। पिछले 5 सत्रों में यह 897 अंकों का गोता लुगा चुका है।

 यह गिरावट एसएंडपी में भी हुई है। एसएंडपी500 गुरुवार को 3.25 फीसद टूटकर 3666 पर आ गया। पिछले 5 सत्रों में यह 7.74 फीसद टूट चुका है। यह भी पिछले 52 हफ्ते के लो 3639 के बेहद करीब है।

गुरुवार का हाल

 वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख, मुद्रास्फीति को लेकर चिंता और विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी से बीएसई सेंसेक्स गुरुवार को 1,045.60 अंक यानी 1.99 फीसद टूटकर 51,495.79 अंक पर बंद हुआ। पिछले पांच कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 3,824.49 अंक यानी 6.91 फीसद नीचे आया है। शेयर बाजारों में पिछले पांच दिन से जारी गिरावट के कारण निवेशकों को 15.74 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है।

आर्थिक मंदी का गहराता साया : अमेरिका के फेडरल बैंक ने ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। वर्ष 1994 के बाद से ब्याज दरों में यह अबतक की सबसे बड़ी वृद्धि है। इसके साथ ही इंग्लैंड, स्विट्जरलैंड और जापान के केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से वैश्विक स्तर पर महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के  शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ” फेडरल रिजर्व का नीतिगत दर में वृद्धि का निर्णय उम्मीद के अनुरूप था। इसीलिए शुरुआती कारोबार में बाजार में बढ़त रही, लेकिन मंदी की आशंका ने वैश्विक धारणा को प्रभावित किया। “

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