टिहरी। मछली पकड़ने के किस्से तो खूब सुने होंगे लेकिन मछली को बेहोश करके अपने घर ले जाने का किस्सा शायद कम हो लोगों ने सुना होगा! उत्तराखंड में ऐसा ही कुछ मामला होता है। आज पाठकों को टिहरी के जौनपुर में होने वाले मौण मेला की कहानी सुनकर अजीब लगेगा। यहां लोग मेले में तिमूर की छाल को पीसकर चूर्ण बना लिया करते हैं फिर मेले में इसे नदी में डालकर मछली को बेहोश करते हैं और फिर बेहोश मछली को अपने घर ले जाए हैं। इस अवसर पर भारी संख्या में लोग मछली को बेहोश करने नदी में तिमूर की छाल का चूर्ण डालते है। यह मेला जौनपुर का ऐतिहासिक मेला होता है। इसके लिए लोग कई महीनों से तिमूर की छाल को सुखाने और चूर्ण बनाकर रखने लग जाते हैं। मेले में जो भी जाता है वह तिमूर की छाल का चूर्ण ले जाता है। बताते हैं तिमूर की छाल का चूर्ण मछली को बेहोश कर दिया करता है। इसके बाद लोग मछली पकड़ने नदी में कूद पड़ते हैं। अपने आप में अलग तरह का ये मेला टिहरी गढ़वाल का अद्भुत मेला कहा जा सकता है। इस मेले का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। बीते दिन ये मेला संपन्न हो गया इसमें दूर दूर से लोग पहुंच कर परंपरा को आज भी जीवंत रखे हैं।
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