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घर से निकलते ही जब मौत का भय हो तब क्या कीजिएगा! मार्ग दुर्घटना से निजात कब मिलेगी! सरकार से उम्मीद! कैसे रुकेगा बोल्डरों का गिरना! जनता को किससे है उम्मीद! पढ़ें खास रिपोर्ट

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देहरादून। उत्तराखंड में लगातार होती मार्ग दुर्घटना बेहद चिंता का विषय बन गई हैं। कहीं वाहन खाई में गिरते हैं तो कभी वाहन पर पहाड़ी से बोल्डर गिरकर लोग अकाल मौत के मुंह में समा रहे हैं। उत्तराखंड के लिए ये बेहद मुश्किल होता जा रहा है कि वह किस तरह दुर्घटनाओं को रोके। हाल के दिनों की बात कीकर तो अनगिनत मार्ग दुर्घटना घटी हैं। इसके लिए सरकार को चिंतन करना होगाओर कोई विकल्प तलाशना ही होगा। घर से निकले लोग वापस घर पहुंचेंगे या नहीं ये तय नहीं है। सरकार इसके लिये चिंतित है लेकिन दुर्घटना कम नहीं हो रही हैं। जिन जगहों पर खतरा है वहां पर लोगों को सावधान किया जाना चाहिए। अभी बरसात का रौद्र रुप बाकी है इसलिए सरकार कुछ ऐसा करे जिससे दुर्घटना पर कमी लाई जा सके। सीएम पुष्कर धामी ने इसके लिए कई कोशिश की है इसके बाद भी दुर्घटना में कमी नहीं आई है। विकास से पहले जीवन को बचाना होगा जब जीवन ही सुरक्षित नहीं होगा तब विकास के क्या मायने होंगे। सरकार को ही कोई हल खोजना होगा जिससे राह चलते लोग अकाल मौत से बच सकें। सड़कों को ही जब सुरक्षित नहीं रखा जायेगा तब पर्यटन सीजन से लाभ कैसे अर्जित होगा। सरकार को कुछ ना कुछ समाधान खोजना होगा। सड़कों का चौड़ीकरण हो लेकिन ऐसी जगह नहीं होना चाहिए जहां पहाड़ कच्चा हो। बोल्डर गिरने की घटना को तत्काल रोकने के लिए पूरी ऊर्जा के साथ काम करने की जरूरत है। जिन जगहों पर खतरा है वहां लोगों को सावधान तो किया ही जासकता है। पीडब्ल्यूडी की टीम को इसकी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। सरकार को इस समस्या का निराकरण करने के लिए पहल करनी होगी, लोगों को युवा सीएम पुष्कर धामी से उम्मीद है कि वह दुर्घटना रोकने के लिए भगीरथ प्रयास करेंगे।

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