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नैनीताल:-विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को HC से भी राहत नही मिली, निर्णय पर यह बोली विधानसभा अध्यक्ष …

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नैनीताल, संवाददाता। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय से 102 कर्मचारियों की बर्खास्तगी को सही ठहराते हुए एकलपीठ का आदेश निरस्त कर दिया। एकलपीठ ने बर्खास्तगी पर रोक लगाते हुए कर्मियों को तत्काल ज्वाइन कराने के आदेश दिए थे। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने स्पीकर के कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि बर्खास्तगी के आदेश को स्टे नहीं किया जा सकता।एकलपीठ के कर्मियों को बहाल करने के आदेश को चुनौती देने वाली विधानसभा सचिवालय की ओर से दायर विशेष अपीलों पर गुरुवार को डबल बेंच ने सुनवाई की। विधानसभा सचिवालय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने कहा कि उक्त कर्मचारियों की नियुक्ति कामचलाऊ व्यवस्था के तहत की गई थी। शर्तों के मुताबिक, इनकी सेवाएं कभी भी, बिना कारण अथवा नोटिस के समाप्त की जा सकती हैं। यह भी पता चला कि इनकी नियुक्तियां सेवा नियमावली के विरुद्ध की गईं। सुनवाई के दौरान कर्मियों की ओर से कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें बर्खास्त करते समय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया। उन्होंने 2016 से 21 तक के कर्मचारियों को ही बर्खास्त किया, जबकि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2000 से 2015 के बीच भी ऐसी ही नियुक्तियां हुईं, जिन्हें नियमित भी किया जा चुका है। साथ ही कहा गया कि उमा देवी बनाम कर्नाटक राज्य का निर्णय उन पर लागू नहीं होता। यह निर्णय वहां लागू होता है जहां पद खाली न हों और बैकडोर नियुक्तियां की गई हों। यहां पद खाली थे तभी नियुक्तियां हुईं। पर डबल बेंच ने स्पीकर के आदेश को सही मानते हुए एकलपीठ के स्थगनादेश को निरस्त कर दिया।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने डबल बेंच के फैसले का स्वागत किया और इसे न्याय की जीत बताया। डबल बेंच का फैसला आने के बाद खंडूड़ी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी किसी से निजी दुश्मनी नहीं है। लेकिन राज्य के लाखों युवाओं के साथ हुए अन्याय को दूर करने के लिए ही उन्होंने डबल बेंच में जाने का निर्णय लिया था। बर्खास्त कर्मचारियों के डबल बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सच्चाई और शुचिता की इस लड़ाई को वह अंत तक लड़ेंगीं।

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