
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई से जांच कराने संबंधी हाईकोर्ट का आदेश बुधवार को निरस्त कर दिया। उच्च न्यायालय ने 27 अक्तूबर, 2020 को पत्रकार उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए भाजपा के नेता के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।शीर्ष कोट ने कहा कि दोनों पत्रकारों ने अपने खिलाफ एफआईआर रद्द करने का आग्रह करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और उन्होंने सोशल मीडिया में रावत के खिलाफ उनके द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग नहीं की थी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि रावत के खिलाफ जांच या आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का कोई आग्रह नहीं किया गया था। जस्टिस एम.आर शाह. और सी.टी. रविकुमार की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश बरकरार नहीं रखा जा सकता और यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। पीठ ने कहा, अपीलकर्ता के खिलाफ आपराधिक जांच के निर्देश और इस दौरान उच्च न्यायालय टिप्पणियों को निरस्त किया जाता है। यह विशेष रूप से उल्लेखित किया जाता है कि उपरोक्त आधारों पर ही आदेश रद्द किए जाते हैं।


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