बिंदुखत्ता। हर साल गौला नदी किनारे तीन मंदिर में नंदा सुनंदा का मेला तीन और चार सितंबर को होगा। इस मेले में रात को एक लाख से अधिक लोग उतराखंड की संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं। उत्तराखंड की संस्कृति का प्रदर्शन इस मेले को कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मंदिर कमेटी के देवेंद्र मेहता ने बताया कमेटी की कल सुबह बैठक होगी और मेले की तैयारी शुरू कर दी जाएगी। इधर समाज सेवी मोहनी मेहता ने बताया यह मेला उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को बचा रहा है। उन्होंने कहा सरकार संस्कृति कर्मियों को व रंग कर्मियों को संरक्षण दे जिससे संस्कृति को जीवंत रखा जा सके। बताते चलें इस मेले में सालों से बिछड़े लोग मिल जाते हैं और पूरी रात झोड़ा चांचरी का दौर जारी रहता है तो वहीं मंदिर में पूजा पाठ जारी रहता है। दो दिन तक इस मंदिर में दुकानें सजी रहती हैं और लोग गूलरभोज, तिलपुरी, कूल्हा, दिनेशपुर से तक मेला देखने और पूजा में भाग लेने आते हैं चार पांच दर्जन करीब परिवार हैं जो इस मेले का जिम्मेदारी के साथ हर साल आयोजन करते हैं। होगरा के लोग इसमें अधिक बताए जाते हैं। इस मेले की लोग बेसब्री से प्रतिक्षा करते हैं। मिलन वाला मेला इसे कहा जाए तो कोई बुराई नहीं है! इस मेले में सालों के बिछड़े दोस्त मिलते हैं। इसे आठों का मेला भी कहते हैं। रावत नगर नदी किनारे विशाल मैदान में दो दिन उतराखंडी समाज का जलवा देखने को मिलता है। इस मेले में पुलिश व्यवस्था भी रहती है। इसके अलावा कार रोड मेंभी नंदा सुनंदा मेले की जोरदार तैयारी चल रही है। इसके अलावा शांतिपुरी, भरतपुर में भी इस तरह के छोटे मेलों का आयोजन होता है।
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