
नैनीताल। विश्व पर्यावरण विद स्वर्गीय सुंदर लाल बहुगुणा की आज जयंती ऐसे समय में लोग मनाने जा रहे हैं जब उनके आंदोलन का उद्देश्य सामने आने लगा है। सुंदर लाल बहुगुणा ने जीवन पर्यन्त उत्तराखंड के जल, जंगल और ज़मीन को बचाने के लिए मजबूत पहल की और कई बार जेल की यात्रा की थी। आज उनकी जयंती के अवसर पर उनके विचारों पर चिंतन की प्रासंगिकता और भी अधिक बढ़ गई है। आओ मिलकर उनके विचारों पर चिंतन करें। चिपको आंदोलन से लेकर बांधों का विरोध उनकी प्राथमिक लड़ाई रही उनके आंदोलन से दुनियां में तो बदलाव आया लेकिन उनकी कर्म भूमि उत्तराखंड में उनके विचारों को हमेशा हांशिए में डाला गया! आज आपदा का नया अध्याय जोशीमठ में देखने को मिल रहा है जिसकी चिंता सुन्दर लाल बहुगुणा 1975 में ही कर चुके थे लेकिन तानाशाह सरकार ने उनके विचार को वापपंथ विचार प्रचारित करवा दिया और उनके आंदोलन की धार को ही कुंद कर दिया गया। स्वर्गीय सुंदर लाल बहुगुणा की जयंती पर उनको नमन करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वर्तमान सरकार और जनता उनके विचारों की प्रासंगिकता पर चिंतन कर प्रदेश को पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित करेगी यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


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