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बिंदुखत्ता:जब देश बुरे दौर से गुजर रहा था तब ‘मिनी उत्तराखंड बिंदुखत्ता’ से भी भरे गए थे बांड, पढ़े खास रिपोर्ट जीवन की कलम से…

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बिंदुखत्ता। इस मिनी उत्तराखंड बिंदुखत्ता में बसासत को लेकर मतभेद हो सकते हैं लेकिन आजादी के पूर्व से बिन्दुखेड़ा का अपना एक वजूद था! जिसे किसी प्रमाण की जरूरत नहीं नैनीताल दुग्ध संघ इसका जीवंत प्रमाण है! जब खत्ता क्षेत्र के दूध से इस संघ का श्री गणेश हुआ था। इस क्षेत्र में पहाड़ के आपदा पीड़ित, शिल्पकार , पूर्व सैनिक व अशोक चक्र वीरता पुरस्कार विजेता शहीदों के परिजन, सेवारत सैनिक के परिजन निवास करते हैं जो कड़ी मेहनत व संघर्ष के दम पर पूरे नैनीताल जनपद को दूध पिला रहे हैं!

नैनीताल दुग्ध संघ अगर आज नई ऊंचाइयों पर है तो उसका पूरा श्रेय बिंदुखत्ता के पशु पालन करने वाले दुग्ध उत्पादक को जाता है। अधिकांश परिवार दुग्ध उत्पादक हैं।इस क्षेत्र की बसासत पंडित गोविंद वल्लभ पंत जी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में भी थी तब उन्होंने लोगों को जमीनें आवंटित की थी जिसके तहत शांतिपुरी, देवरिया, बाजपुर, गुलरभोज, दिनेशपुर कई जगहों पर लोगों को जमीनों पर बसाया गया तराई क्षेत्र को व भाबर को आबाद किया गया। तब पहाड़ के अधिकांश लोग सांप, मच्छर, गर्मी के भय से पहाड़ों को वापस चले गए जो रुका उसके पास आज भी फार्म हाउस हैं। तब पहाड़ के लोग समझ न सके जो आज समझे हैं।अब इस क्षेत्र की बड़ी समस्या है कि इस क्षेत्र को डिस फारेस्ट कर राजस्व गांव का दर्जा देकर पंचायत चुनाव कर जनता को पंचायती राज विभाग के अधीन करना है जिससे भारत सरकार व उत्तराखंड सरकार की सभी योजनाओं का जनता को लाभ मिल सके। हर पांच साल में चुनाव के अवसर पर इसे राजस्व गांव बनाए जाने की घोषणा होती रही है लेकिन आज तक समस्या जस की तस है।

इस बार विधायक डा. मोहन सिंह बिष्ट ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है उनके द्वारा लगातार इस दिशा में पहल की जा रही है। उन्होंने कहा है वह काम करने पर विश्वास करते हैं जो जनहित में होगा वह करेंगे। उन्होंने कहा जब से वह विधायक बने हैं तब से लगातार जनहित के काम चल रहे हैं लेकिन विपक्ष को काम है नहीं मुद्दे तलाश रहे हैं जबकि मोहन बिष्ट जनता के सपनों को साकार करने के लिए मजबूत पहल कर रहा है।

इधर लंबे समय से आंदोलन के संयोजक रहे पूर्व सैनिक बहादुर सिंह जंगी ने अपना पूरा जीवन जनसेवा में लगा दिया है वह कहते हैं कि उनके जीते जी राजस्व गांव का सपना पूरा हो जाता तो शकून मिलता कि उत्तराखंड राज्य पाकर जनता को उसके अधिकार मिले।

बिन्दुखत्ता के पहले पत्रकार जिन्होंने 1987 में इस क्षेत्र में उत्तराखंड न्यूज एजेंसी की स्थापना की थी। इस क्षेत्र में कई साल तक उत्तर उजाला अखबार निःशुल्क बांटकर लोगों को अखबार जगत से जोड़कर एक नई दिशा दी। आज भी लोगों का दर्द लगातार लिखते आ रहे प्रेस क्लब अध्यक्ष जीवन जोशी कहते हैं बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव न होने के कारण हर साल अरबों रुपए की योजना से वंचित रहना पड़ता है। किसान होने के बाद भी पीएम किसान सम्मान निधि से बिंदुखत्ता का करीब सोलह हजार किसान वंचित है। मनरेगा जैसी योजना क्या होती है इस क्षेत्र की जनता को नहीं मालूम। इस क्षेत्र में सांसद/ विधायक निधि के अलावा कोई योजना नहीं मिलती कह दिया जाता है ये तो पक्के गांव के लिए है! जबकि इस क्षेत्र का योगदान हर क्षेत्र में रहा है।उन्होंने कहा वर्तमान विधायक डा. मोहन बिष्ट से जनता को उम्मीद है कि वह अपने कार्यकाल में इसे राजस्व गांव का दर्जा दिलाएंगे और सीएम पुष्कर धामी सरकार पर जनता को भरोसा है कि वह युवा पीढ़ी के दर्द की दवा बनने का काम करेंगे।

भूमिहीन किसानों के लिए लड़ने वाले धर्म सिंह पूर्व दर्जा मंत्री कहते हैं सबको मिलकर राजस्व गांव के लिए मजबूत पहल शुरु करनी होगी वरना हर बार की तरह इस बार भी आश्वासन तक ही जनता रह जायेगी।

पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल कहते हैं उनके कार्यकाल में राजस्व गांव के लिए कई प्रस्ताव पारित हुए हैं उसपर सरकार अमल कर सकती है।

पूर्व विधायक नवीन चंद्र दुम्का कहते है प्रयास होने चाहिए जनता की जरूरत है राजस्व गांव उन्होंने विधायक की पहल का स्वागत भी किया। बताते चलें इस क्षेत्र में 1964/65 में भारत सरकार के लिए धन जमा करने वाले बॉन्ड बेचने वाले सरकार के प्रतिनिधि भी आते थे जिसका प्रमाण भी इस समाचार में संलग्न है। राजस्व गांव संघर्ष समिति संयोजक ने कहा है सरकार जल्द कुछ करेगी उम्मीद है अन्यथा जनता की मजबूरी होगी कि वह आंदोलन के रास्ते पर उतरेगी जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। समिति का कहना है लैंड ट्रांसफर कर सरकार इतनी ही जमीन कहीं भी वन विभाग को देकर इसे राजस्व गांव बना सकती है सिर्फ इच्छाशक्ति चाहिए।

शेष भाग अगली रिपोर्ट में….

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